उदयपुर, 19 अप्रैल। प्रताप गौरव केन्द्र सिर्फ पर्यटन स्थल नहीं है, अपितु राष्ट्र चरित्र के निर्माण का तीर्थ है, इसीलिए इसे ‘‘राष्ट्रीय तीर्थ’’ की संकल्पना से तैयार किया गया है।
यह बात असम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया ने बुधवार को प्रताप गौरव केन्द्र ‘‘राष्ट्रीय तीर्थ’’ में ‘मेवाड़ की शौर्य गाथा’ वाटर लेजर शो के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में कही। उन्होंने कहा कि यह स्थान पैसा कमाने के लिए नहीं, बल्कि शौर्यपूर्ण इतिहास के दर्शन करा व्यक्ति के मन को झकझोरने और स्वाभिमान को जाग्रत करने का केन्द्र है।
कटारिया ने केन्द्र की संकल्पना के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक सोहनसिंह का स्मरण करते हुए कहा कि वे राज्यपाल से पहले यहां के कार्यकर्ता हैं। उन्होंने कहा कि मेवाड़ की माटी की बात ही निराली है। यहां की शौर्यगाथा को तो लोग नमन करते ही हैं, यदि आप किसी को यह बताते हैं कि आप मेवाड़ से हैं तो वे आपके चरण छूने को आतुर हो जाते हैं। उन्होंने इस केन्द्र की स्थापना में अब तक भामाशाहों से मिले सहयोग पर आभार व्यक्त करते हुए कहा कि भामाशाह भी तभी खड़े होते हैं जब सामने महाराणा प्रताप जैसा व्यक्तित्व होता है। उन्होंने इस तीर्थ को आदर्श बनाने का आह्वान किया।
*महाराणा प्रताप के शांतिकाल पर शोध की आवश्यकता*
समारोह के मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम ने महाराणा प्रताप पर अब तक हुए शोधकार्यों में उनके चावण्ड के काल की सामग्री को न्यून बताया और इस पर शोध की आवश्यकता जताई। प्रताप के शांतिकाल के दौरान प्रशासन, कला, व्यवसाय व नगर संयोजन आदि विषयों पर शोध की आवश्यकता आज भी है। उन्होंने कहा कि देश के इतिहास में ऐसे महापुरुष हुए हैं जिनका उज्ज्वल चरित्र पाठ्यपुस्तकों में शामिल नहीं हो सका। उन्होंने सवाल उठाया कि स्वामी विवेकानंद, छत्रपति शिवाजी, महाराणा प्रताप जैसे महापुरुषों का उज्ज्वल चरित्र क्यों नहीं पढ़ाया जा सकता। आज नई पीढ़ी को ऐसे महापुरुषों के चरित्र को आदर्श बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि प्रताप गौरव केन्द्र की संकल्पना को साकार करने के संकल्प के बाद उसकी सिद्धि का माध्यम जनसहयोग रहा है। महाराणा प्रताप का जीवन चरित्र सामाजिक समरसता का प्रतीक है जो वर्तमान परिस्थितियों में प्रासंगिक है। उन्होंने आह्वान किया कि स्वाधीनता के अमृत महोत्सव से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष 2025 तक ऐसे ही विविध प्रकल्पों व गतिविधियों के माध्यम से राष्ट्र जागरण का बड़ा अभियान हो।
*अमृतकाल में गूंज रही है अनसंग हीरो की गाथा:
समारोह में केंद्रीय संस्कृति राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने कहा कि देश में पीएम मोदी के नेतृत्व में अभी अमृतकाल चल रहा है। इस काल में देश के उन अनसंग हीरोज की गाथाएं गूंज रहीं हैं जिनके बारे में अब तक न तो लिखा जाता था, न कहा जाता था। उन्होंने मानगढ़ धाम के गोविंद गुरु, कौशाम्बी की दुर्गा भाभी और कानपुर के गंगू मेहतर का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसे हीरोज के बारे में जब पाठ्यपुस्तक में लिखने का प्रयास किया जा रहा है तो सवाल उठाए जा रहे हैं, लेकिन देश के अनसंग हीरोज को यथोचित सम्मान देना हमारा संकल्प है।
समारोह में नगर निगम महापौर गोविन्द सिंह टांक ने प्रताप गौरव केन्द्र की विकास यात्रा की जानकारी दी। आरंभ में वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप समिति के महामंत्री डॉ. परमेन्द्र दशोरा ने स्वागत उद्बोधन दिया। कोषाध्यक्ष अशोक पुरोहित ने पुष्प गुच्छ व स्मृति चिह्न से अतिथियों का स्वागत किया। अंत में अध्यक्ष डॉ. बीएल चौधरी ने अध्यक्षीय उद्बोधन में भामाशाहों का आभार प्रकटीकरण करते हुए बताया कि यहां पर शोध केन्द्र स्थापना की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। समिति के उपाध्यक्ष एमएम टांक ने आभार प्रदर्शन किया। समारोह में भावेश ने ‘मायड़ थ्हारो वो पूत कठै’ गीत की एकल प्रस्तुति दी।
*पूजन करके लोकार्पण:
-केन्द्र निदेशक अनुराग सक्सेना ने बताया कि समारोह के उपरांत अतिथियों ने वाटर लेजर शो का लोकार्पण वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजन कर श्रीफल वधेर कर किया। अतिथियों ने 25 मिनट के वाटर लेजर शो को एकाग्रता से देखा। उद्घाटन अवसर पर वाटर लेजर शो देखने पहुंचे शहर के प्रबुद्धजन अभिभूत हो उठे और शौर्यपूर्ण दृश्यों पर भारत माता तथा महाराणा प्रताप के जयकारे लगाते रहे। सक्सेना ने बताया कि साढ़े सात करोड़ की इस परियोजना में उच्च श्रेणी का प्रोजेक्टर कनाडा से मंगवाया गया है, 2-डी व 3-डी म्यूजिकल फव्वारे लेजर तकनीक के उपकरण जर्मनी से मंगवाए गए हैं। यह राजस्थान का पहला वाटर लेजर शो है। इसक कार्य मॉडर्न स्टेट सर्विसेज नई दिल्ली ने किया है जिसने लाल किला, विक्टोरिया मेमोरियल और खेतड़ी में अजीत-विवेक म्यूजियम का कार्य भी किया है।