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फतहनगर। रियासतकालीन परम्परा को याद दिलाने वाली बादशाह की सवारी का सोमवार को सनवाड़ में आयोजन किया गया। प्रति वर्ष शीतला सप्तमी के अवसर पर बादशाह की सवारी निकाली जाती है। दिनभर होली खेलने के बाद शाम को बादशाह की सवारी का आयोजन किया गया। सदर बाजार में बादशाह की सवारी सज्जित की गयी। बग्घी में बादशाह एवं बेगम को विराजित किया गया तथा बैंडबाजों के साथ बादशाह की सवारी को रवाना किया गया। बग्घी के आगे बादशाह की सेना चल रही थी तथा रास्ते में महाराणा की सेना अलग-अलग सेनापतियों के नेतृत्व में छापामार हमले कर रही थी। बादशाह की सेना एवं महाराणा की सेना के बीच अच्छी रस्सा कस्सी चली। बादशाह की सवारी रावला चैक होते हुए रावले में प्रवेश कर गयी जहां पर बादशाह की दाढ़ी नोंच ली गयी तथा बादशाह को कैद कर लिया गया। बाद में नगरवासियों ने गैर नृत्य किया। इसके अलावा बादशाह की बेगम बने कलाकारों ने भी नृत्य कर मौजूद जन सैलाब का मनोरंजन किया। रावले में जन सैलाब इतना था कि कार्यक्रम देखने के लिए लोग रावले के गोखड़ों तक पर चढ़ गए। रावले में भैरूसिंह राणावत ने नगरवासियों का स्वागत किया। बादशाह की सवारी के इस कार्यक्रम में जनप्रतिनिधियों के अलावा सभी समाज के लोग मौजूद थे। बादशाह की सवारी को देखने के लिए सनवाड़ के अलावा फतहनगर एवं आस पास के गांवों से भी बड़ी तादाद में लोग सनवाड़ पहुंचे।
अनुशासित होता है यह आयोजनः हालांकि आयोजन के मद्देनजर पुलिस जाब्ता भी तैनात रहता है लेकिन इस आयोजन में सभी लोग अनुशासित रह कर इस पुरानी परम्परा का निर्वहन करते हैं। वर्षों से चल रही इस परम्परा के आयोजन के दौरान कभी विवाद की स्थिति पैदा नहीं हुई। सभी लोग सद्भाव एवं प्रेमपूर्वक इसे मनाते हैं। इसमें सभी धर्मों के लोग शामिल होते हैं।