-प्रताप गौरव केन्द्र ‘राष्ट्रीय तीर्थ’ पर 57 फीट ऊंची प्रताप की बैठक प्रतिमा पर चढ़ाई 151 किलो की पुष्पमाला
-बड़ी संख्या में पहुंचे पर्यटक, लेजर शो देखने के प्रति भी दिखा उत्साह
उदयपुर, 22 मई। प्रातः स्मरणीय वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप महापुरुष की परिभाषा से भी कई ऊपर एक पूरा युग हैं, जो राष्ट्र निर्माण और भारत माता की निस्वार्थ सेवार्थ समर्पण का अनुपम उदाहरण हैं।
यह बात जोधपुर के संयुक्त परिवहन आयुक्त व तीर फाउंडेशन नासिक के निदेशक डॉ. मन्नालाल रावत ने सोमवार को महाराणा प्रताप जयंती पर उदयपुर के प्रताप गौरव केन्द्र ‘राष्ट्रीय तीर्थ’ पर पुष्पार्चन कार्यक्रम में कही। उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप ने सामाजिक समरसता का भी प्रतिमान स्थापित किया। वे बाल्यपन से जनजाति समाज के बंधु-बांधवों से साथ खेले-बढ़े। जनजाति बंधुओं की प्रतिभा, निष्ठा, राष्ट्रप्रेम, युद्ध कौशल, क्षमताओं से वे भली-भांति परिचित थे और यही कारण रहा कि अकबर की सेना से लोहा लेने में जनजाति योद्धा अग्रणी रहे। ‘राणा जाया-भील जाया, भाई-भाई’ की उक्ति मेवाड़ में सामाजिक बंधुता की प्रगाढ़ता का उदाहरण है।
रावत ने कहा कि विश्व में राजस्थान और खासकर उदयपुर का बड़ा सम्मान है। जब आप कहीं यह बताते हैं कि आप उदयपुर से हैं तो वे महाराणा प्रताप की चर्चा जरूर करते हैं और उनके प्रति अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं। महाराणा प्रताप से पूरा भारत जुड़ता नजर आता है। उन्होंने मर्यादा पुरुषोत्तम राम की परम्परा को आगे बढ़ाया। उनका जीवन चरित्र युगों तक हमारा मार्गदर्शन करता रहेगा।
प्रताप गौरव केन्द्र के निदेशक अनुराग सक्सेना ने बताया कि महाराणा प्रताप जयंती पर प्रातः 8.15 बजे केन्द्र में स्थापित 57 फीट ऊंची बैठक प्रतिमा के चरणों में पुष्प अर्पित किए गए। महाराणा प्रताप की विशाल प्रतिमा पर 151 किलोग्राम की पुष्पमाला भी पहनाई गई। इस अवसर पर वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप समिति के कोषाध्यक्ष अशोक पुरोहित, प्रचार प्रमुख सुंदर कटारिया, कार्यकारिणी सदस्य महावीर चपलोत, समाजसेवी श्याम रावत, इतिहास संकलन समिति के विवेक भटनागर, मनीष श्रीमाली सहित कई प्रबुद्धजन उपस्थित थे। सोमवार दिन भर केन्द्र के दर्शन करने आए पर्यटकों ने केन्द्र परिसर में स्थापित लघु प्रतिमा के समक्ष पुष्प अर्पित कर महाराणा प्रताप को नमन किया।
सक्सेना ने बताया कि इस वर्ष महाराणा प्रताप जयंती पर केन्द्र में 20 मई से 22 मई तक प्रवेश शुल्क में छूट दी गई। बड़ी संख्या में शहरवासी व पर्यटक इस दौरान केन्द्र के दर्शन के लिए पहुंचे। इसी के साथ सूर्यास्त के बाद यहां होने वाले वाटर लेजर शो ‘मेवाड़ की शौर्य गाथा’ के शुल्क में भी तीन दिन छूट रही। इसमें इतनी भीड़ उमड़ी कि नियमित दो शो से बढ़ाकर तीन शो प्रदर्शित किए गए। हर शो में 50 की क्षमता अतिरिक्त बढ़ानी पड़ी। उल्लेखनीय है कि हाल ही, 10 मई से प्रताप गौरव केन्द्र में सायंकाल 7.30 व रात 8.20 बजे वाटर लेजर शो शुरू किया गया है। यह राजस्थान का अपनी तरह का पहला वाटर लेजर शो है, जो प्रताप और मेवाड़ के शौर्य को समर्पित है। इसमें एक शो में बैठने की क्षमता 200 है।
इस बार, प्रताप गौरव केन्द्र दर्शन करने वाले पर्यटकों के लिए विशेष उपहार योजना भी रखी गई थी। जिस भी पर्यटक ने केन्द्र में भ्रमण के दौरान मोबाइल पर कोई स्टोरी, रील या पोस्ट बनाकर प्रताप गौरव केन्द्र को टैग किया, उन्हें भ्रमण के उपरांत स्टोरी टैग दिखाने पर विशेष उपहार प्रदान किया गया। पर्यटकों ने यहां स्थित भामाशाह विक्रय केन्द्र पर उपलब्ध महाराणा प्रताप की लघु प्रतिमाएं भी खरीदी। महाराणा प्रताप जयंती के अवसर पर इन पर भी विशेष छूट प्रदान की गई थी।