उदयपुर। छत्रपति शिवाजी महाराज युद्ध में भी मर्यादा का कठोर पालन करने वाले थे। उन्होंने किसी भी मस्जिद को अपने सैनिक अभियान मंे नष्ट नहीं किया, न ही किसी महिला के साथ अभद्रता होने दी, भले ही महिला शत्रु परिवार की क्यों न हो।
यह बात प्रताप गौरव केन्द्र ‘राष्ट्रीय तीर्थ’ के निदेशक अनुराग सक्सेना ने शुक्रवार को छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक हिन्दवी साम्राज्य की स्थापना की तिथि के अवसर पर शिवाजी के व्यक्तित्व के संदर्भ में कही। उन्होंने कहा कि किसी भी मस्जिद को किसी सैनिक अभियान में नष्ट नहीं करने की बात को मुस्लिम इतिहासकारों ने भी खुले दिल से सराहा है। गोलकुण्डा के अभियान के समय शिवाजी को यह सूचना मिल गयी थी कि वहां का बादशाह शिवाजी के साथ संधि चाहता है, इसलिए उस राज्य में जाते ही शिवाजी ने अपनी सेना को आदेश दिया कि यहां लूटपाट न की जाए अपितु सारा सामान पैसे देकर ही खरीदा जाए।
इस अवसर पर प्रताप गौरव शोध केन्द्र के अधीक्षक डॉ. विवेक भटनागर ने कहा कि अंग्रेज इतिहासकारों व मुस्लिम इतिहासकारों ने शिवाजी को अपना सांझा शत्रु माना है। इसलिए उन्होंने शिवाजी को औरंगजेब की नजरों से देखते हुए पहाड़ी चूहा या एक लुटेरा सिद्ध करने का प्रयास किया है। वास्तव में शिवाजी हिंदू राष्ट्रनीति के पुनरुत्थान के अधिनायक थे। शिवाजी की नीति धर्माधारित राज्य की स्थापना करने की थी। उन्होंने कभी किसी महिला के साथ कभी कोई अभद्रता नहीं होने दी, भले ही वह महिला शत्रु परिवार की क्यूं न हो। उन्होंने अपने गुरु समर्थ गुरु रामदास के आदेश पर उनके द्वारा दिए गए केसरिया अंग वस्त्र के टुकड़े से ही अपने राज्य की पताका बनाई और कहा, यह मां भगवती का शासन है, यह नीति का शासन है।
इससे पूर्व, प्रताप गौरव केन्द्र में छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। गौरव केन्द्र भ्रमण करने आए पर्यटकों ने भी पुष्पांजलि अर्पित की। पर्यटकों को छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के इतिहास के सम्बंध में जानकारी भी प्रदान की गई।