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फतहनगर - सनवाड

श्रीमद् भागवत कथाःवेदों का अंतिम छोर हरिनाम ही हैः कृष्णकिंकरजी महाराज

फतहनगर। यहां की श्रीकृष्ण महावीर गौ शाला में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा कार्यक्रम के दूसरे दिन कथा मर्मज्ञ कृष्णकिंकरजी महराज ने संक्षेप में सभी अवतारों के बारे में बताते हुए कहा कि परमात्मा के आनंदलोक को छोड़कर मायालोक में आने को ही अवतार कहा गया है। प्रभु अवतार में बाल, युवा और वृद्धावस्था के तीनों गुण तथा कोई विकृति नहीं होती है। राजा परिक्षित की कथा के साथ श्रृंगी ऋषि के श्राप के भाव विभोर करने वाले प्रसंग का वाचन किया गया।
रामचरित मानस में वर्णित चौपाइयों के साथ केवल नाम स्मरण मात्र से कलियुग में भवसागर पार होने की शक्ति के बारे में बताते हुए कहा कि अभी किसी यज्ञ, ज्ञान व योग के बिना केवल नाम स्मरण से ही मानव भाग्यशाली इस दुर्लभ योनि से गोलोक जाने की पात्रता प्राप्त कर सकता है। बिना वैराग्य के ज्ञान निरर्थक है। वेदों का अंतिम छोर हरिनाम ही है। केवल ॐ शब्द के जाप से सभी पापों का नाश हो जाता है।
गौ माता के महत्व को लेकर कहा कि गौ हत्या देश में बन्द होनी चाहिये। देशी गाय का घी ही यज्ञ की सफलता प्रदान करता है। जिस भूमि पर गौ माता विचरण करें वहां निर्मित भवन अत्यंत शुभकारी है।
आगे कहा कि किस तरह केवल नाम स्मरण करके श्री हनुमानजी ने अपने आराध्य प्रभु श्रीराम तक को अपने वश में किया है। आज की कथा के विश्राम के बाद आरती की गई एवं प्रसाद वितरण किया गया।

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