फतहनगर। श्री द्वारिकाधीश भूमि पर बागला परिवार द्वारा आयोजित भागवत कथा में परम् पूज्य दिग्विजय राम महाराज ने कथा के दूसरे दिन नारद व्यास वार्ता प्रसंग, भागवत प्राकट्य, पांडवों की चर्चा के साथ उत्तरा के गर्भ की रक्षा, कुंती कृष्ण वार्ता, भीष्म पितामह प्रार्थना, राजा परीक्षित जन्म, श्रृंगी ऋषि श्राप, वराह, कपिलदेव, दत्तात्रेय, दुर्वासा अवतार, शिव सती प्रसंग एवं भक्तराज ध्रुव का झाँकीमय विस्तृत वर्णन किया। उन्होने आगे कहा कि भागवत देवताओं के लिए भी दुर्लभ है। कथा जीवन जीने की कला दर्शाती है। पैसा गुजारा है, सहारा तो एकमात्र ईश्वर ही है। जैसा खाएंगे अन्न वैसा होगा मन। प्रभु निःशुल्क सर्वस्व देते हैं। कथा व्यथा को हरने वाली है। विश्व सनातन अपना रहा है और हम पाश्चात्य संस्कृति की ओर जा रहे हैं। चिन्ता रहित निष्काम भाव से स्मरण करते रहे। जीवन बहुत छोटा है,इसे व्यर्थ न गवांये। सुख दुःख प्रारब्ध से आते हैं, प्रभु हमारी हर कामना को जानते हैं। रामरस का पान करते हुए बिना कुछ मांगे प्रभु दर्शन करने चाहिए। जीवन में अनुकूल प्रभु कृपा से एवं प्रतिकूल प्रभु इच्छा से होता है। दुःख का ईश्वर ही सहारा है। कबीरदासजी, शबरी की तरह निष्काम भाव से साधना करें। कथा विश्राम के बाद महाआरती एवं प्रसाद वितरण किया गया।
फतहनगर - सनवाड