फतहनगर। विद्या निकेतन उच्च प्राथमिक विद्यालय सनवाड़ में शनिवार को मातृ सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता संकुल प्रमुख सुरेश कुमार आमेटा एवं मुख्य अतिथि श्रीमती मधुबाला चाष्टा थी जबकि अध्यक्षता सचिव बलवंत कुमार पाराशर ने की।
मातृ सम्मेलन के अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि श्रीमती मधुबाला चाष्टा ने कहा कि इस कार्यक्रम को आयोजित करने का एक बहुत बड़ा उद्देश्य है कि माता आत्मिक और वैचारिक रूप से अपने कर्मो के प्रति जागृत हो पाए क्योंकि एक माँ जो बच्चे की पहली प्रथम गुरु होती है, प्रथम मित्र भी होती है। इसलिए माँ की जिम्मेदारी अपनी संतान के प्रति बहुत महत्वपूर्ण होती है। उन्होने कहा कि एक माँ गान्धारी भी थी जिसने दुर्योधन को जन्म दिया। रावण को जन्म देने वाली भी एक माँ ही थी, लेकिन क्या समाज में आज उनका सम्मान किया जाता है। आज भी जब इनका नाम आता है तो हम कहते है कैसी मां रही होगी जिसने ऐसी संतान को जन्म दिया। हालांकि उन्होंने भी अपने पुत्र के लिए वही कष्ट सहा। महत्वपूर्ण यह नहीं है कि हमने संतान को जन्म दिया,उससे भी बड़ी बात यह है, कि हमने अपनी संतान को संस्कार कैसे दिए। यह एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। मातृशक्ति राष्ट्र का निर्माण करती है। श्रीराम, श्रीकृष्ण, वीर शिवाजी महाराज,विवेकानंद एवं महाराणा प्रताप को भी महान बनाने में उनकी माता का हाथ था। मां गुणों से सम्पन्न होगी तो बालक गुणों से भरपूर होगा। पढ़ी लिखी माँ बालक को केवल किताबी ज्ञान दे सकती है लेकिन संस्कारित माँ बालक को महान बना सकती है। कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना के साथ में हुआ। तत्पश्चात प्रधानाचार्य द्वारा अतिथियों का तिलक एवं उपरणा द्वारा स्वागत किया गया। भैया बहनों के द्वारा समूह गान,कविता एवं समूह नृत्य प्रस्तुत किया गया। मुख्य वक्ता के द्वारा विद्या भारती संस्थान के द्वारा संचालित विद्यालयों की गतिविधियों के विषय पर विचार व्यक्त किया। कार्यक्रम से पूर्व माता बहनों की कुर्सी दौड़, रंगोली प्रतियोगिता इत्यादि आयोजित की गई जिसमें प्रथम,द्वितीय स्थान पर रही माताओं को परितोषिक प्रदान किया गया। इसके साथ ही प्रांत स्तरीय प्रतियोगिता में उपविजेता रहे भैय्याओ को अतिथि गणों द्वारा प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। आभार वरिष्ठ आचार्या श्रीमती सुमित्रा शर्मा ने ज्ञापित किया। संचालन श्रीमती धर्मा वैष्णव ने किया।
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