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मुगदल वाटिका में सात दिन से चल रहे गौ नन्दी कृपा कथा के समापन पर उमड़ा आस्था का जन सैलाब
फतहनगर। नगर के मुदगल वाटिका में चल रही गौ कृपा कथा महोत्सव का भव्य शोभायात्रा के साथ आज समापन हो गया। समापन सत्र के अवसर पर गौ भैरव उपासक संत गोपालानंद सरस्वती (जगदीश गोपाल महाराज) ने कहा कि हर हिन्दू अपने मे घर मे गौ पालन करें। श्रद्धा और प्रेम भाव से माँ समझ कर उनकी सेवा करें तो ही राष्ट्र की रक्षा सम्भव है। क्योंकि अगर इस देश मे गाय माता नही रही, तो हमारी संस्कृति का विनाश हो जाएगा। आज प्रतिदिन 82000 गाय माता कत्लखानों में कट रही है। उन्होंने गौ हत्या को अक्षम्य अपराध बताते हुआ कहा कि इसकी सजा मृत्यु दंड ही होना चाहिए। गौ हत्या के लिए बहुसंख्यक हिन्दू समाज को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि गाय दूध देने बन्द या कम कर देती है तो उसे सड़क पर छोड़ने वाला और कोई नही बल्कि हिन्दू ही है। यदि कोई गौ भक्त ट्रक पकड़ कर गौवंश मुक्त करवाते है तो वहीं चन्द रुपयो के लालच में कत्लखानो के मालिक और चमड़ा उद्योगपति भी हिन्दू है। यदि हिन्दू यह सब करना छोड़ दे तो विधर्मी लोग गौमाता की तरफ आंख उठाकर भी नही देख पाएंगे। गौ सेवा के विकल्प पर उन्होंने बताया कि या तो अपने स्वयं के घर पर गौ पालन करें अथवा गौशाला में एक गाय के स्वयं गोद ले और उसके चार पानी की व्यवस्था करें अथवा प्रतिदिन गौ ग्रास के रूप में दो पांच रुपये निकाल कर गौ सेवा के दान दे। साथ ही सन्त श्री ने बच्चो से आग्रह किया कि प्रतिदिन जेब खर्ची से एक रुपया बचाकर जमा करें और वर्ष के अंत मे 365 रुपये अपने जन्म दिन पर गौमाता को गुड़ खिलाकर जन्म दिन मनाएं।
संत श्री ने कहा सर्व सुख प्रदा गौमाता मनुष्य के जन्म से लेकर मृत्यु उपरांत तक हमारे जीवन को प्रभावित करती है। जन्म के साथ गौमाता हमारे जीवन को उन्नति की ओर ले जाती ही है, अपितु इस संसार से जीव को मृत्यु के पश्चात मुक्ति भी गौमाता से ही मिलती है। संत श्री के गाय माता के पवित्र गोबर की उपयोगिता बताते हुए कहा कि गोबर में सबसे ज्यादा ऑक्सिजन विद्यमान रहती है। किसी भी अपवित्र स्थान को भी अति पवित्र करने की शक्ति गोबर में है। गोबर के कंडो से दाह संस्कार करने से जीवात्मा प्रेत योनि में नही पड़ती। कथा महोत्सव में राजसमन्द, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ सहित आस पास के क्षेत्रों से गौभक्तों का जमावड़ा रहा और पांडाल श्रोताओं से अटा रहा। आज का कथा कार्यक्रम तड़के पांच बजे प्रारंभ हुआ लेकिन फिर भी श्रद्धालु भक्तों की भारी भीड़ रही। कथा के बाद शोभायात्रा निकाली गई एवं दोपहर में संत एवं अन्य श्रद्धालु भक्त पैदल ही 10किमी. की यात्रा कर भूपालसागर के मूरला गांव पहुंचे जहां ग्रामीणों ने संतश्री एवं अन्य की भव्य अगवानी की।