उदयपुर। सीसीआरटी क्षेत्रीय केंद्र, उदयपुर द्वारा 14 से 25 फरवरी तक वर्चुअल मोड में‘ अनुस्थापन (बुनियादी) पाठ्यक्रम पर एक ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। समापन समारोह के अतिथि सीसीआरटी की अध्यक्ष श्रीमती डॉ. हेमलता एस.मोहन एवं निदेशक श्रीमान ऋषि वशिष्ठ उपस्थित थे, जिन्होने 95 प्रतिभागियों को वर्तमान परिपेक्ष में आधुनिकीकरण के युग में हमारी गौरवमय संस्कृति की रक्षा के लिए भावी पीढ़ी को जागरूक करने एवं सांस्कृतिक मूल्यों को भारतीय समाज में प्रचार प्रसार करने के लिए एक संदेश दिया।
इस प्रशिक्षण के माध्यम से माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालय के छात्रों को शिक्षित करने के लिए छत्तीसगढ़, गुजरात, हरयाणा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल के 10 राज्यों से लगभग 95 शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया है। 12 दिनों में 18 विशेषज्ञों ने व्याख्यान दिया। इसमें कठपुतली बनाना और स्कूली शिक्षा में इसका अनुप्रयोग, कहानी कहने की कला, मुकाभिनय के माध्यम से संचार कौशल को बढ़ाने जैसे विभिन्न विषयों को शामिल किया है।
विशेषज्ञों ने बताया कि नई शिक्षा नीति 2020 में भारतीय संस्कृति एवं कला पर बहुत जोर है एवं मौजूदा पाठ्यक्रम में इन विषयों पर सामग्री बढ़ाई जा रही है तथा कला शिक्षा पर ध्यान दिया जा रहा है। इस क्रम में नई शिक्षा नीति के परिपेक्ष्य में सीसीआरटी द्वारा ये कार्यशालाएं आयोजित की जा रही है। ताकि हमारे शिक्षक भारतीय कला, सभ्यता एवं संस्कृति के बारे में अधिकाधिक जान सके और आगे वे अपने छात्रों को जागरूक कर सकें। सीसीआरटी देश भर में सेवारत शिक्षकों, शिक्षक-शिक्षकों के लिए विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करता है। इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों का उद्देश्य शिक्षा को संस्कृति से जोड़ना और प्रतिभागियों के माध्यम से छात्रो को भारत की बहुलवादी सांस्कृतिक विरासत के प्रति संवेदनशील बनाना है। कार्यशाला मे प्रतिभागी शिक्षकों द्वारा अपने राज्य व क्षेत्र की संस्कृति, कला और विरासत के बारे में विस्तार में बताया गया ताकि दूसरे राज्यों के प्रतिभागी भी इस जानकारी को प्राप्त कर सके और आपसी विनिमय से कला संवाद कायम हो सक ।
शिक्षक मूकाभिनय और कठपुतली के माध्यम से अपने शिक्षण को नया आयाम दे रहे है। कार्यशाला के दौरान शिक्षक अपने राज्य और क्षेत्र से जुड़े कला एवं संस्कृति विषयों पर शिक्षण प्रोजेक्ट भी तैयार कर रहे है, उस पर भी कार्यशाला में परिचर्चा की गयी। प्रसिद्ध मूकाभिनय, कठपुतली और रंगमंच कलाकार श्री विलास जानवे, ए. मधुसूदन, डॉ. लईक हुसैन ने प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किया। पी.सी.जैन ने मूल्य शिक्षा-समकालीन भारत में मूल्यों की प्रासंगिकता एवं सुरेश पालीवाल ने स्वास्थ्य, ध्यान और तनाव से राहत के लिये योग पर व्याख्यान दिया। राजकुमार जैन (कन्सर्वेटर-फोरेस्ट) ने जल तत्व और पर्यावरण पर बहुत उपयोगी व्याख्यान दिया। कत्थक पर प्रसिद्ध नृत्यकार प. राजेंद्र गंगानी ने व्याख्यान एवं नृत्य प्रस्तुत किया। कार्यशाला में प्रसिद्ध संगीतकार डॉ प्रेम भण्डारी द्वारा 10 भाषाओं में गायन कर प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किया। लक्ष्मी लाल बैरागी एवं नवीन कुमार नंदवाना द्वारा राजभाषा नीति एवं हिन्दी साहित्य तथा सलोनी प्रिया द्वारा लेंगिक समानता एवं संवेदनशीलता पर भी व्याख्यान दिये गए। कार्यशाला का संचालन सीसीआरटी उदयपुर के परामर्शक दिनेश कोठारी ने किया।
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