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हरिदेव जोशी पत्रकारिता और जनसंचार हरिदेव जोशी पत्रकारिता और जनसंचार विश्वविद्यालय: तीन वर्ष का सेवा विस्तार करवाकर और अपनी साधन सुविधाए बढाना चाहते हैं कुलपति

सेवा निवृत्ति में मात्र दो सप्ताह शेष
उदयपुर। मावली विधायक धर्म नारायण जोशी ने हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति ओम थानवी पर प्रबंध मंडल की बैठक की आड़ में मनमाने निर्णय करवाने के आरोप लगाए हैं। उक्त निर्णय विद्या परिषद की बैठक में थानवी की अध्यक्षता में लिए जा चुके हैं।
जोशी ने आरोप लगाया कि कुलपति के नियोक्ता राज्यपाल के बनाए नियमों को ताक में रख हरिदेव जोशी पत्रकारिता और जनसंचार विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलपति ओम थानवी चाहते हैं कि वे कुलाधिपति से बगैर पूछे देश भर में राजकीय खर्चे पर यात्रा करें और उनके लिए उच्च गुणवत्ता और खास किस्म के दो चौपहिया वाहन उनकी सेवा में हो। हवाई जहाज की यात्रा भी करें तो बिजनेस क्लास की । पत्रकारिता में नैतिकता और मूल्यों की बात करने वाले कुलपति 21 फरवरी को होने वाली प्रबंध मण्डल की बैठक में स्वयं की अध्यक्षता में ये प्रस्ताव पारित कराने वाले थे। जानकारी हो कि इन प्रस्तावों की 18 फरवरी को आयोजित विद्या परिषद की बैठक में अनुसंशा की गई है।
राज्य के सभी कुलपतियों को अवकाश स्वीकृत करने और मुख्यावास त्यागने के लिए राज्यपाल से अनुमति लेनी होती है। श्री थानवी प्रबंध बोर्ड से यह पास कराना चाहते थे कि सात दिन तक देश में अवकाश या कार्य दिवसों में राज्यपाल की अनुमति के बिना राजकीय खर्च पर भ्रमण कर सकें। मात्र विदेश जाने के लिए राज्यपाल की अनुमति लेनी पड़े ।
श्री थानवी प्रबंध बोर्ड से यह भी निर्णय कराना चाह रहे थे कि उनके राजकीय एवं निजी उपयोग के लिए एक एसयूवी और एक सिडान कार उनको मिले । जबकि निजी उपयोग के लिए वाहन संभवतरू मुख्य सचिव को भी नहीं मिलता है । उनको अपने निवास के लिए चौबीसों घंटे दो सिक्युरिटी गार्ड, दो सहायक, एक कुक, खुद के आलीशान निवास के साथ दो सर्वेंट क्वार्टर एवं एक गार्ड क्वार्टर भी चाहिए । वे अपनी हवाई यात्राएं बिजिनेस क्लास में करने संबंधी निर्णय भी लेने वाले थे।
जोशी ने अपने बयान में कहा कि कुलपति थानवी अपना टर्म पूरा होने से दो सप्ताह पहले प्रबंध बोर्ड की बैठक आयोजित करके अपना कार्यकाल बढ़वाने की मंशा रखते थे जबकि राज्य सरकार के अधिनियम में ऐसा कोई नियम नहीं है
थानवी की मंशा थी कि इस विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति के नाते उनको एक टर्म का और विस्तार प्रबंध बोर्ड की अनुशंसा और सरकार के अनुमोदन से मिले । उनको यह ज्ञान ही नहीं है कि प्रथम कुलपति की नियुक्ति केवल तीन वर्ष के लिए करने का प्रावधान अधिनियम में है । उल्लेखनीय है कि राज्य के सभी 28 विश्वविद्यालयों में प्रथम कुलपति की नियुक्ति तीन वर्ष के लिए ही की गई थी।
दिनांक 18 फरवरी को आयोजित हुई विद्यापरिषद की बैठक में इन मनमर्जी के प्रस्तावों को प्रबंध बोर्ड में स्वीकृति के लिए भेजा गया है। इससे स्पष्ट होता है कि श्री थानवी प्रबंध बोर्ड की बैठक करके अपना कार्यकाल बढाने की अनुशंसा कर अपनी साधन सुविधाओं का निर्णय कराना चाहते थे। यह उनका नैतिकतावादी असली चेहरा है। और तो और वे कुलपति बनने की प्रक्रिया भी अधिनियम की व्यवस्था से भिन्न स्वयं ही तय करना चाह रहे थे।

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