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केन्द्र ने 8 मार्च, 2020 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को सभी ग्राम पंचायतों में विशेष ग्राम सभा और महिला सभाओं का आयोजन करने का निर्देश दिया है। पंचायती राज मंत्रालय ने राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों के सचिवों/प्रधान सचिवों को लिखे पत्र में कहा है कि इस वर्ष का विषय ‘समता सृजन: महिलाओं की अधिकार प्राप्ति’है। विशेष ग्राम सभाओं और महिला सभाओं का आयोजन सामुदाकि संसाधन व्यक्तियों (सीआपी) आंगनवाड़ी, आशा, सखी तथा सहायक नर्स मिडवाइफ(एएनएम) कर्मियों की साझेदारी में होना चाहिए। ग्राम सभाएं पोषण पंचायत, भूमि अधिकार, शिक्षा, सुरक्षा, पुन: प्रजनन स्वास्थ्य तथा समान अवसर जैसे विषयों पर विचार-विमर्श करेंगी। इससे पहले, पचायतोंसे 8 मार्च से 22 मर्च, 2020 तक महिला और बाल विकास मंत्रालय के कार्यक्रम के अनुसार पोषण पखवाड़ा आयोजित करने को कहा गया था।
विशेष ग्राम सभाओं में लिंग निर्धारण जांच पर पाबंदी, लड़की के जन्म को समारोह के रूप में मनाने तथा सभी महिलाओं के लिए प्रसवपूर्व देखभाल तथा नवजात देखभाल,टीकाकरण और पौष्टिकता,प्रत्येक लड़की के लिए उचित देखभाल, पौष्टिकता तथा टीकाकरण, लड़कियों को स्कूल जाने के लिए प्रोत्साहित करने और घर तथा स्कूल के सुरक्षित माहौल पर ध्यान के साथ स्कूली शिक्षा पूरी करने, बाल विवाह पर पाबंदी, महिलाओं तथा लडकियों के साथ होने वाली हिंसा दुर्व्यवहार और अन्याय, ग्राम पंचायतों में निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी और निर्णय लेने में योगदान तथा ग्राम सभाओं में भागीदारी के लिए महिलाओं को प्रोत्साहन जैसे विषयों पर चर्चा की जाएगी। विशेष ग्राम सभाओं के दौरान पंचायती राज मंत्रालय द्वारा संदेश को सीआरपी तथा स्वयं सहायता समूहों द्वारा पढ़कर सुनाया जाएगा। इसके अतिरिक्त संदेश में नवजात शिशु के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए जन्म के बाद पहले 1000 दिनों में स्तनपान के महत्व तथा चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 जैसे विषयों को भी शामिल किया जाएगा।
सामुदायिक सक्रियता को मजबूत बनाने और समुदाय में व्यवहार परिवर्तन के अग्रदूत के रूप में काम करने में पंचायती राज संस्थाओं की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। 73वें संविधान संशोधन ने ग्रामीण स्वशासन को स्वायत्ता प्रदान की और शासन संचालन को जनता के निकट ला दिया। इस संशोधन से पंचायतों में 33.3 प्रतिशत आरक्षण महिलाओं को प्राप्त हुआ। अभी तक 20 राज्यों ने पंचायती राज संस्थानों में महिलाओं के आरक्षण को बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने का कानून पारित किए हैं। इसके परिणामस्वरूप 30.41 लाख निर्वाचित प्रतिनिधियों में से 13.74 लाख (45.2 प्रतिशत)निर्वाचित महिलाएं हैं। इनमें से कुछ सामाजिक रूप से पिछड़े समूहों से है और अब नेतृत्व की स्थिति में हैं।
पंचायती राज मंत्रालय ने समुदाय की आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं पर फोकस करने के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर एकीकृत विकास नियोजन के लिए ग्राम पंचायत विकास योजना(जीपीडीपी) तैयार की।जीपीडीपी दिशा-निर्देशों में वर्ष 2018 में संशोधन किया गया। दिशा-निर्देशों के कुछ प्रमुख पहलू महिला सशक्तिकरण के लिए प्रासंगिक हैं। इन पहलुओं में बजट बनाने, नियोजन, क्रियान्वन, जीपीडीपी की निगरानी तथा सामान्य ग्राम सभा से पहले महिला सभाओं का आयोजन शामिल है। ये सभी पहलू पंचायती राज मंत्रालय के विजन दस्तावेज 2024 का हिस्सा हैं। इस दस्तावेज का फोकस विभिन्न क्षेत्रों में निर्वाचित प्रतिनिधियों की क्षमता बढ़ाने और उन्हें परिवर्तन का एजेंट बनाने पर है।