फतहनगर |
पावन धाम फतहनगर में धर्म सभा को संबोधित करते हुए गुरुदेव कोमल मुनि जी म. सा ने फ़रमाया सभी जानते हैं कि हर समस्या का समाधान होता है पर समस्या क्यों होती है यह कोई नहीं जानता हर समस्या किसी दृष्टि से होती है और उसका समाधान भी किसी दृष्टि से ही होता है आज पावन धाम में जो आस्था का सैलाब उठा है इस आस्था से प्रेरणा लेकर हमें अपने जीवन को आस्थावान बनाना है, हमें अपनी लकीर बड़ी बनानी है. गुरु अंबेश ने अपनी लकीर बड़ी बनाई इसीलिए आज हम सभी गुरु अंबेश के पद चिन्हों पर चलने का प्रयास करते हैं, महापुरुषों के जीवन से हमें प्रतिदिन नई दिशा मिलती है, नई एनर्जी मिलती है, नई राह मिलती है.हमें यदि सफलता की ओर बढ़ना है तो एक दिशा नियोजित करनी होगी, हमें प्रतिपल चिंतन करना चाहिए कि हमें कैसे जीना है किस रूप में जीना है क्या करके जीना है क्या नहीं करके जीना है यह सभी यदि हम महापुरुषों के जीवन से अनुभव लेंगे तो अवश्य ही सफलता की ओर बढ़ेंगे आज हमारे आराध्य गुरु ने जन-जन के मन में संयम की,सजगता की,धर्म की अलख जगाई है और महामंत्री गुरुदेव ने उस गरिमा में चार चांद लगाए हैं. अब हमें तीनों महापुरुषों की गरिमा में चार चांद लगाने हैं इसके लिए हमें जितना पुरुषार्थ करना पड़े उतना करेंगे. हमारे आत्मा की मूल स्थिति स्व भाव में हैं पर भाव में नहीं ,आज तक हम दूसरों के जीवन के बारे में सोचता है अब हमें अपने जीवन के बारे में सोचना है हमें यह चिंतन करना चाहिए कि देव गुरु धर्म के प्रति हमारा कर्तव्य क्या है? गुरुदेव सौभाग्य मुनि जी म. सा. ने लिखा है
राम ने न मारा किसी को,ना मारे कोई नाम
अपने आप मर जावे जो करें खोटे काम
उप प्रवर्तक सुभाष मुनि जी म. सा. ने फ़रमाया कि
हम शास्त्र पढ़ रहे हैं फिर भी विकार है
दवा खा रहे हैं फिर भी बीमार है
उपदेश हम दे रहे हैं आप सुन रहे हैं
आचरन में नहीं आए तो सब बेकार है
लोकेश मुनि जी म. सा. ने फ़रमाया कि जिन घरों में वृद्ध जन होते हैं वह घर सौभाग्यशाली होते है, जिस घर में आने वाली संतान की परवरिश वृद्धजनों के हाथों से होती है उन संतानों की मेमोरी पावर बहुत ही अच्छी बनती है प्राचीन काल में माताएं बहने किसी का जन्मदिन आता तो वह अपने सुपुत्र को
संत -सतीयों के दर्शन कराने ले जाते थे और आज की माताएं बहने अपने सुपुत्र का जन्मदिन बनाने होटलों में जाते हैं यदि बच्चों को संस्कार देना चाहते हो तो उनको संत -सतीयों जी के पास में ले जाओ, आज भी देश में कई अनाथ आश्रम है. क्या आप में से कोई उन बच्चों को गोद लेकर, पूर्ण योग्य बना कर संत -सतीयों जी के चरणों में समर्पित कर सकते हैं? अतीक तो याद रखना है वर्तमान को जानना है एवं भविष्य का आयोजन करना है, आज हम आज गुरु को तो मानते हैं पर गुरु की आज्ञा तो नहीं मानते हैं
धीरज मुनि जी एवं रमेश मुनि जी म. सा. ने भी धार्मिक प्रवचन दिया,
आज के दया दिवस मे कई महानुभावो ने दया तप की साधना की, कल मेवाड़ शिरोमणि परम पूज्य अंबालाल जी म. सा का पुण्य दिवस है, मुमुक्षु विनय भंडारी का कहना है कि हमें यह पुण्य दिवस तप त्याग से मनाना है गुरुदेव को तप त्याग की श्रद्धा रूपी भेंट चढ़ा नी है