आकोला(नवरतन जैन ) ।
आकोला व आसपास के इलाकों में सवा माह में दुसरी बार बेमौसम बारिश (मावठा) खेतों में लहलहाती फसलों के लिए वरदान साबित हुई है। इससे किसानों को सरसों,चना, गेहूं, तारामीरा आदि की अच्छी पैदावार इस बार होने की उम्मीद जगी है। बीती रात भर क्षैत्र में रुक रुक कर बरसात हुई । आज सुबह से ही यही क्रम चल रहा है। आसमान में बादल छाए हुए है और ठंडी हवाओं के साथ ठिठुरन भी बढ़ने लगी है। इस बारिश ने फसलों की पिलाई के तौर पर दुसरी पाण का काम किया हैं। उल्लेखनीय है कि गत माह क्षैत्र में लगातार तीन दिन तक बारिश हुई थी । जिसके फलस्वरूप फसलों को पहली पाण का अच्छा सहारा मिल गया था और किसानों को सिंचाई करने की भी जरूरत नहीं पडी। इससे किसानों का बिजली खर्च भी बच गया। इधर,जब दुसरी पिलाई का समय आया तो फिर ये बेमौसम बारिश आ गई जिससे फसलों को काफी फायदा पहुंचने की संभावना है। संभवतः कई सालों बाद ऐसा अवसर आया है कि सर्दी के मौसम में बेमौसम बारिश से सिंचाई करने की दो पाण तक जरुरत ही नही पडी। इस लिए कहावत है कि ईश्वर देता है तो छप्पर फाड के देता है। अच्छी पैदावार की किसानों में उम्मीद तो जगी है लेकिन पाला पड़ने की आशंका से भी चिंतित हैं। क्योंकि पाले से फसलों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। उल्लेखनीय है कि क्षैत्र में गत लगातार दो सालों से मानसून फीका रहा है, जिससे तालाब,एनिकट आदि जलाशय सहित २५ फीट भराव क्षमता का बड़गांव बांध भी रीता पड़ा है। इस कारण क्षैत्र में सिंचाई सुविधा के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध नहीं है । इसकी वजह से बुवाई भी प्रभावित हुई थी। लेकिन बेमौसम बारिश फायदेमंद रही है। दुसरी ओर फिर बेमौसम बारिश से सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ है। बाजार में सूनापन रहा लोग अलाव तापते नजर आए।
चित्तौडगढ़