फतहनगर । श्री कृष्ण महावीर गौशाला परिसर में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा महोत्सव में रविवार को कथा मर्मज्ञ कृष्ण किंकर जी महाराज ने श्रीकृष्ण के मथुरागमन, कुबजा उद्धार, कंस वध, उग्रसेन जी- वसुदेव – देवकी की कारागृह से मुक्ति, संदीपनि आश्रम में सुदामाजी के साथ शिक्षा ग्रहण करना, उद्धव व अक्रुरजी प्रसङ्ग, जरासंध वध, रुक्मिणी विवाह का झाँकीमय वाचन किया ।
आगे कहा कि ईश्वर प्राप्ति लौकिक वस्तुओं से सम्भव नहीं है उसके लिए नित्य प्रातः परमात्मा से अलौकिक प्रेम रूपी शक्ति मांगनी चाहिए। श्रीकृष्ण ही माता पिता और गुरु है,गुरु ही ईश्वरीय अदालत में गवाह बनकर मुक्ति दिला सकते हैं। कथा स्वयं भगवन स्वरूप है, उनका गान ही गीता है।ब्रह्माजी सृष्टि के रचयिता, विष्णु जी पालनहार एवं शिवजी संहारक हैं। जीवन नित्य ईश्वर की ओर से प्रदान हवा, पानी और प्रकाश से ही है।
कथा विश्राम के बाद आरती की गई एवं प्रसाद वितरण किया गया।