उदयपुर। महाराणा प्रताप का पशु-पक्षियों से प्रेम सर्वविदित रहा। महाराणा के साथ उनके घोड़े चेतक का नाम आता है। इस गुलाबबाग जन्तुआलय की स्थापना वर्षों पहले महाराजा सज्जनसिंह ने की थी। ये भारत के सबसे पुराने चिड़ियाघरों में से एक है। आजादी के बाद से वन विभाग के अधीन है। उदयपुर में सज्जनगढ़ जैविक उद्यान स्थापित होने के बाद पशु-पक्षियों को नया आशियाना मिला। गुलाबबाग से पशु-पक्षियों की शिफ्टिंग के बाद यहां बर्ड पार्क बनना शुरू हुआ, इसमें पक्षी लाने में हिन्दुस्तान जिंक का सहयोग मिला। यहां पक्षी प्रेमियों के लिए 21 प्रजाति के देशी-विदेशी रंग बिरंगे पक्षी निहारने मिल सकेंगे। उदयपुर हैरिटेज एवं नेचर के लिए बड़ा टूरिस्ट प्लेस है। बर्ड पार्क से यहां और टूरिस्ट आकर्षित होंगे। हम सभी को गर्मियों में पक्षियों को पानी पिलाने के लिए परिण्डों का इंतजाम करना चाहिए। इससे आत्मसंतुष्टि मिलती है। राज्य सरकार वन्यजीवों एवं पक्षियों के कल्याण के लिए कृतसंकल्पित है। पशु-पक्षियों के लिए निःशुल्क दवा जैसा बड़ा काम हमारे प्रदेश में हुआ है।
वन एवं पर्यावरण विभाग की उपलब्धियांः
2019 में पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन निदेशालय की स्थापना। आईआईटी मुम्बई के साथ एमओयू कर जलवायु परिवर्तन पर एक्शन प्लान तैयार। झील संरक्षण के लिए 2021 में स्टेट वैटलैण्ड अथॉरिटी का गठन। प्रकृति एवं पर्यावरण संबंधित गतिविधियों के संचालन हेतु नई राजस्थान पारिस्थितिक पर्यटन नीति-2021 लागू। वनों की उत्पादकता बढ़ाने हेतु राजस्थान राज्य वन विकास निगम का गठन। रामगढ़ विषधारी वन्यजीव अभ्यारण को टाइगर रिजर्व घोषित करने की सैद्धान्तिक सहमति। तालछापर, चूरू में वन्यजीव प्रबंधन प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित।