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उप प्रवर्तक कोमलमुनि ने किया पावनधाम प्रवेश,श्रावक-श्राविकाओं ने की अगवानी

फतहनगर(विकास चावड़ा)। श्रमण संघीय उप प्रवर्तक कोमलमुनि म.सा.,धीरजमुनि म.सा. एवं रमेश मुनि म.सा. ने आज नगर के नया बाजार के समीप स्थित जैन स्थानक से विहार कर पावनधाम प्रवेश किया। विहार करीब एक बजे हुआ। इस दौरान पावनधाम मंत्री बलवंतसिंह हिंगड़, श्रीसंघ अध्यक्ष डॉ.जैनेन्द्र कुमार जैन, पूरणमल सिंयाल,देवीलाल खेरोदिया,भगवतीलाल चपलोत सहित श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित थे। पावनधाम प्रवेश पर संस्थान की ओर से पदाधिकारियों एवं जैन समाज के लोगों ने संतों की अगवानी की। रास्ते में भी धर्मप्रेमी लोगों ने कोमलमुनि एवं अन्य संतों का आशीष लिया।
इससे पूर्व जैन स्थानक में धर्मसभा को संबोधित करते हुए गुरुदेव कोमलमुनि म. सा ने फ़रमाया कि एक व्यक्ति समुद्र में डूबने लगता है। ऐसे में उसे कोई सहारा मिलता है तो वह किनारे तक पहुंच जाता है। उसी प्रकार हम संसार में डूब रहे हैं। अभी इसमें हमें सद्गुरु का सहारा मिल जाए तो हम किनारे तक पहुंच सकते हैं।
हमारी अपूर्णता का राज है गुरु के प्रति उदासीन भावना,उनके प्रति प्रसन्न ना होना। वह व्यक्ति भटक जाता है। वह भूल जाता है कि गुरु ही मेरे खेवनहार है।
वर्तमान में व्यक्ति अपने आने वाले भविष्य के बारे में अंश मात्र भी नहीं सोचता है। गुरु ज्ञान भी देते हैं और दिशा भी देते हैं। सभी सद्गुण गुरु के द्वारा ही मिल सकते हैं। जैन धर्म में देव गुरु धर्म को ही ज्यादा प्रधानता दी गई है। यह तीन ही है जो हमें संसार सागर से तिरा सकते हैं। हमें कोई जिज्ञासा नहीं होती जिससे हम सत्य को नहीं पहचान सकते। हमें संकल्प करना है कि हम देव गुरु धर्म के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित रहेंगे। गुरु का एक गुण लेवे पर उसे पूर्ण श्रद्धा के साथ लेवे। सबसे बड़ा तत्व गुरु ही है। धीरज मुनि जी म. सा एवं रमेश मुनि जी म
सा ने भी धार्मिक प्रवचन दिया। मुमुक्षु विनय भंडारी ने 28 सितंबर को हुई सौभाग्य निबंध प्रतियोगिता का परिणाम एवं गुरु के महत्व को बताया। 31 दिसम्बर से पावनधाम के प्रांगण में रोजाना सुबह साढ़े नो बजे से व्याख्यान होंगे।

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