आकोला(नवरतन जैन ) ।
चित्तौड़गढ़ जिले की सबसे बड़ी ग्राम पंचायतों में से एक आकोला ग्राम पंचायत मुख्यालय पर एक ऐसा सरकारी भवन है जो लाखों रुपए की लागत का है और आज की दर से करोड़ों रुपए मूल्य की जमीन पर बना हुआ है लेकिन यह कई सालों से अनुपयोगी पडा है और अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। यह कहानी है आकोला कस्बे के मुख्य बस स्टैंड पर बने सरकारी भवन की, जिसमें कई दशकों तक प्राथमिक विद्यालय संचालित हुआ कई पीढ़ियां यहां से प्राथमिक शिक्षा ग्रहण कर निकली किंतु आज इस भवन की कोई सुध लेने वाला नही है। न तो सरकार को इसकी कोई चिंता है और नहीं राजनीतिक पार्टियों के स्थानीय नेताओं और जन प्रतिनिधियों को इस ओर ध्यान देने का समय है।कई दशकों तक यह भवन पंचायती राज विभाग के अधीन रहा और गत कुछ वर्षों से यह शिक्षा विभाग के अधीन है। यह सरकारी भवन लंबे समय से अनुपयोगी पड़ा है और देखरेख के अभाव में खस्ताहाल में तब्दील होता जा रहा है। भवन वैसे तो ठीक ठाक हालत में है। यहां मय बरामदो के एक दर्जन से भी अधिक अधिक कमरे बने हुए है और इनके सामने बड़ा प्रागंण है, जहां कई छायादार बड़े बड़े पेड़ है। लेकिन सरकार की अनदेखी से इस भवन का कोई जनहित में उपयोग नही हो पा रहा है। इस कारण लोगों में नाराजगी है,जिनका कहना है कि यदि यहां शिक्षण कार्य नही होता है तो इसे सामाजिक और धार्मिक कार्यों के लिए उपयोग में दिया जाना चाहिए ताकि सरकार को भाड़े के रूप में आर्थिक आय अर्जित हो सके। इसका व्यापारिक दृष्टि से भी उपयोग किया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि 50साल से भी अधिक समय पहले इस भवन का प्राथमिक विद्यालय के लिए निर्माण कराया गया था। तब जन सहयोग से कुछ कमरे बनाये गए थे। बताया जाता है कि दशकों पहले किसी दानदाता ने अपनी खातेदारी जमीन महिला शौचालय के लिए दान कर दी थी और यहां महिला शौचालय के बाड़े का निर्माण कराया गया था। बाद में यहां सन् 1970 के आसपास प्राथमिक विद्यालय के लिए भवन बनाया गया। वर्तमान में इस भवन की संपूर्ण जमीन की कीमत ही करीब चार पांच करोड़ की आंकी जाती है।