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चित्तौडगढ़

कला उम्र की मोहताज नहीं होती इसकी मिसाल है आकोला का ग्यारह साल का बच्चा भूवनेश छीपा

(नवरतन जैन)।

चित्तौड़गढ़ जिले के आकोला कस्बे के सदर बाजार के पास रहने वाले चौथमल छीपा के 11 साल के लड़के भूवनेश की मासूम उम्र मे होते हुए भी उसकी परिकल्पना पर आधारित कला को देखकर हर कोई दांतों तले उंगली दबाने को मजबूर हो सकता है। ताज्जुब की बात यह है कि यह बच्चा पढाई के अलावा शेष समय में कूछ न कुछ करता रहता है और धार्मिक आस्था भी पूरी है। नवरात्रि के समय नौ ही दिन व्रत रखना और गणेशोत्सव पर यह बच्चा स्वयं मिट्टी लाकर उससे गणपति की मूर्ति बनाकर शुभ मुहूर्त में घर मे स्थापित कर नियमित पूजा भी करता है और साथ में उपवास भी करता है। बच्चे की मम्मी राधिका देवी बताती है कि भूवनेश ने इन दो सालों में कई तरह के खिलोने स्वयं ने अपने हाथों से बनाएं है इसके लिए आवश्यक सामग्री वह खुद जुटाता है। इन दिनों भूवनेश ने अपने घर के उपरी मंजिल के बरामदे में अपनी कल्पना के आधार पर कागज के गत्तों से शानदार वाटिका बनाई है, जो वाकई बच्चे की कला देखने लायक है। उसने वाटिका के प्रागंण में कमरा और उसमें भी कमरा, झौपड़ी,कार पार्किंग,झूला,पवन चक्की, प्रवेशद्वार, बगीचा, बच्चों के मनोरंजन के लिए रगस पट्टी, गमले आदि बनाएं है। यह वाटिका भूवनेश ने मात्र दो घंटे में बनाई है। कुछ दिन पहले इस बालक ने लोडिंग ट्रक भी बनाया था और पहियों के रूप में बेरिगं लगाएं। निश्चित है ऐसी ग्रामीण बाल प्रतिभा आगे जाकर अपनी कला को रोजगार का जरिया बनाएगी। ऐसे प्रतिभावान विद्यार्थियों को बढ़ावा देने की जरूरत है। भूवनेश अभी सातवीं कक्षा में पढ़ रहा है। बच्चे की कारीगरी को देख कर कहा जा सकता है कि कला उम्र की भी मोहताज नहीं होती।

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