जयपुर, 4 जनवरी। अतिरिक्त मुख्य सचिव विभाग के डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया है कि राज्य में आज कोयला आधारित तापीय विद्युतगृहों से 7330 मेगावाट विद्युत उत्पादन होने लगा है जबकि कोयला संकट के दौरान बिजली उत्पादन स्तर कम होकर 3465 मेगावाट तक आ गया था। उन्होंने कहा कि इस समय तकनीकी कारण से केवल छबड़ा की एक इकार्अ में 250 मेगावाट का बिजली का उत्पादन नहीं हो रहा है।
एसीएस ऊर्जा डॉ. सुबोध अग्रवाल मंगलवार को विद्युत भवन में राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम के कार्यों की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने देशव्यापी कोल संकट के दौरान प्रदेश में विद्युत की आपूर्ति बनाये रखने और कोयला व तकनीकी कारणों से बंद इकाइयों में योजनावद्ध तरीके से विद्युत उत्पादन शुरु करने के लिए मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत से लेकर केन्द्र व राज्य सरकार और उत्पादन निगम सहित समग्र प्रयासों से सकारात्मक परिणाम प्राप्त हुए। उन्होंने उत्पादन निगम स्तर पर किए गए प्रयासों की सराहना करते हुए सीएमडी श्री शर्मा सहित सभी अधिकारियों और कार्मिकों की सराहना व बधाई दी।
डॉ. अग्रवाल ने कहा कि समय की मांग और भविष्य की आवश्यकताओं को देखते हुए तापीय विद्युत गृहोें के साथ ही हाइड्रों व अन्य तकनीक पर आधारित विद्युत उत्पादक परियोजना की कार्ययोजना बनानी होगी ताकि कोयले पर निर्भरता कम होने, ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने और विद्युत उत्पादन लागत को कम किया जा सके। उन्होंने कहा कि इस तरह की रिसर्च टीम विकसित होनी चाहिए जो देश दुनिया में विद्युत उत्पादन की आ रही नई नई तकनीकों को अध्ययन कर प्रदेश के लिए उपयोगी परियोजनाओं का खाखा तैयार कर सके। उन्होेंने जोर देकर कहा कि हमें प्रदेशवासियों को निर्बाध बिजली उपलब्ध करानी है तो बिजली उत्पादन की लागत को कम करने के भी गंभीर प्रयास करने होंगे।
राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम के सीएमडी श्री आरके शर्मा ने बताया कि राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम की प्रदेश में थर्मल, गैस, हाईड्रल और लिग्नाइट आधारित विद्युत उत्पादन की 8597 मेगावाट क्षमता स्थापित है। उन्हाेंने बताया कि इनमें से 7580 मेगावाट के थर्मल आधारित विद्युत तापीय गृह स्थापित है। उन्होेंने बताया कि केाल संकट के दौरान प्रदेश में दोहरा संकट आ गया था एक और कोयले की कमी के कारण इकाइयों का उत्पादन प्रभावित हो रहा था तो दूसरी और तकनीकी व अन्य कारणों से कई यूनिटों मेेंं उत्पादन नहीं हो रहा थो। उन्होंने बताया कि विद्युत उत्पादन निगम ने इन परिस्थितियों को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार के सहयोग से व निर्देशन में कोल संकट से प्रभावी तरीके से निपटने के प्रयास किए वहीं चरणवद्ध तरीके से बंद इकाइयों में बहुत ही कम समय में विद्युत उत्पादन आंरभ किया।
सीएमडी श्री शर्मा ने बताया कि प्रदेश की एक इकाई को छोड़कर लगभग सभी इकाइयों में विद्युत उत्पादन होने लगा है। उन्होंने बताया कि नई तकनीक वाली यूनिट संभावनाओं को तलाशा जा रहा है वहीं अनावश्यक खर्चों को सीमित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
बैठक में संयुक्त सचिव ऊर्जा श्री आलोक रंजन, निदेशक विद्युत उत्पादन निगम श्री आरके सोरल, उत्पादन निगम के मुख्य अभियंता श्री देवेन्द्र श्रृंगी सहित वित्त व अन्य अनुभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।