उदयपुर। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद (राजीविका) द्वारा उदयपुर सरस राष्ट्रीय क्राफ्ट मेला- 2023 का शुभारंभ शनिवार को जिला कलेक्टर ताराचन्द मीणा, पूर्व सांसद रघुवीर सिंह मीणा, राज्यमंत्री जगदीश राज श्रीमाली, राजस्थान जनजाति परामर्श दात्री समिति सदस्य लक्ष्मीनारायण पण्डया व वल्लभनगर प्रधान देवीलाल नगारची के आतिथ्य में हुआ। प्रारंभ में सभी अतिथियों ने विधिवत फिता काटकर एवं दीप प्रज्वलन कर मेले का शुभारंभ किया।
जिला कलेक्टर ताराचन्द मीणा ने बताया कि यह आयोजन उदयपुर में होना हर्ष का विषय बताया और विभिन्न राज्यों के आए महिला दस्तकारों का स्वागत करते हुए महिलाओं की आजीविका बढ़ाने के उद्देश्य से आयोजित मेले का महत्व बताया। कलक्टर ने जिला प्रशासन की ओर से हरसंभव आवश्यक सहयोग देने का आश्वासन दिया।
पूर्व सांसद मीणा ने कहा कि स्वयं सहायता समूह कार्यक्रम महिलाओं को सशक्त, स्वावलम्बी बनाने का कार्यक्रम है और महिला सशक्तिकरण के लिए सरकार सतत प्रयासरत है। महिलाएं समूह के माध्यम से विभिन्न आर्थिक गतिविधियों को अपनाते हुए अपनी आजीविका को बढाते हुए अपनी आय अर्जित करें। मीणा ने कहा कि सरकार समय समय पर ऐसे मेले का आयोजन करती है ताकि महिलाओं को आर्थिक संबल मिल सके। राज्यमंत्री श्रीमाली ने मेले को आमजन के लिए उपयोगी बताते हुए अधिक से अधिक खरीदारी का आह्वान किया एवं कहा कि मेले में विभिन्न प्रकार के जरूरत की गुणवत्तापूर्ण सामग्री उचित दाम पर उपलब्ध है। पण्डया ने बताया कि आज उदयपुर जिले में 3 लाख से अधिक महिलाएं समूह से जुड कर अपनी आजीविका के लिए प्रयास कर रही है। यह सभी के लिए प्रेरणास्पद है।
राजीविका के जिला परियोजना प्रबंधक अनिल पहाड़िया ने बताया कि मेले में देश के विभिन्न राज्य यथा छत्तीसगढ़, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तरप्रदेश, आसाम, जम्मू कश्मीर, गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा, एवं राजस्थान एवं अन्य राज्यों की कुल 120 स्टॉल लगाई गयी है। मेले में राजस्थान व अन्य राज्यो के विभिन्न स्वादिष्ट व्यंजन भी उपलब्ध रहेंगे। मेले में प्रतिदिन मनोरंजन हेतु शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी होगा। कार्यक्रम पश्चात अतिथियों ने मेले के विभिन्न स्टॉल का अवलोकन करते हुए खरीदारी की। कार्यक्रम का संचालन राजीविका के जिला प्रबंधक वित्तीय समावेशन भेरू लाल बुनकर ने किया।
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