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फतहनगर - सनवाड

गणपति महोत्सवः गणपति के रंग में रंगी धर्मनगरी फतहनगर,घर-घर पूजे जा रहे प्रथम पूज्य गणेश

फतहनगर।(शंकरलाल चावड़ा)। फतहनगर में आए दिन कोई न कोई धार्मिक आयोजन होता रहता है। सात वार और नो त्यौहार वाली कहावत फतहनगर के लिए सटीक बैठती है। यही कारण है कि ऐसा कोई त्यौहार नहीं बचता जो फतहनगर के लोग नहीं मनाते हों। इन दिनों नगर में दस दिवसीय गणपति महोत्सव चल रहा है। इस महोत्सव का इतिहास भी काफी पुराना है। भगवान गणपति के अनन्य भक्त समाजसेवी गणपतलाल स्वर्णकार ने 38 वर्षों पूर्व इसे प्रारंभ किया था। तब नगर के पुराना बाजार में एक मात्र स्थान पर विनायक प्रतिमा स्थापित कर गणपति महोत्सव का आयोजन किया जाता था। प्रति वर्ष कंुभलगढ़ जाकर विनायक नूत कर लाने के बाद कार्यक्रम की शुरूआत होती। आज भी यह परम्परा चल रही है तथा स्वर्णकार अपने खर्चे से बड़ी संख्या में लोगों को कुंभलगढ़ लेकर जाते हैं तथा वहां विनायक पूजने एवं नूत कर लाने के दौरान भोज का आयोजन भी करते हैं। धीरे-धीरे गणपति महोत्सव का विस्तार हुआ तथा गली-गली में विनायक प्रतिमाएं स्थापित कर महोत्सव मनाया जाने लगा। स्वर्णकार ने इसके बाद कंुभलगढ़ दरबार के नाम से ही विनायक नगर बसाते हुए गणेशजी का मंदिर बनवा दिया जहां कंुभलगढ़ से जोत लाकर विनायक की विशाल प्रतिमा स्थापित कर दी। कंुभलगढ़ दरबार के नाम से प्रसिद्ध इस विनायक मंदिर से विनायक नगर तथा आस पास के लोगों को जोड़ा। स्थानीय युवाओं ने गणेश सेना का गठन किया तथा स्वर्णकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर मंदिर का उत्तरोत्तर विकास एवं रखरखाव में सहयोग किया। पिछले कुछ वर्षों से विनायक मंदिर पर गणपति महोत्सव के तहत चलने वाले दस दिवसीय आयोजन में मेले सहित झांकी एवं अन्य धार्मिक आयोजन किए जा रहे हैं। नगर में पुराना बाजार स्थित गणपति चैक पर फतहनगर का राजा का दस दिन तक दरबार सजता है वहीं अखाड़ा मंदिर,पटेल स्टेडियम के समीप विजय हाइट्स द्वारा झांकी आयोजन,सेतुबंध रामेश्वर महादेव मंदिर प्रताप चैराहा,पीपली चैक,नेहरू बाल उद्यान के अलावा गली मोहल्लों में दर्जनों स्थानों पर स्थापित विनायक प्रतिमाएं उत्सवी माहौल का आभास करवाती है। धर्म नगरी के इस आयोजन को देखने के लिए नगरवासियों के अलावा आस पास के गांवों से भी लोगों का देर रात तक तांता लगा रहता है। अनन्त चतुर्दशी को इस महोत्सव का समापन भी धूमधाम से होता है। इस दिन नगर के सभी स्थानों से विनायक प्रतिमाओं की एक साथ शोभायात्रा निकलती है। सुबह से शाम तक रंगों में सरोबार लोग विनायक प्रतिमाओं को गाजे बाजे के साथ सरोवर में विसर्जन के लिए ले जाते हैं।

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