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*श्री कृष्ण जुगनू
होली के बाद मेवाड़ के पूरे इलाके में घर-घर गौरी और कंठ-कंठ कथा को अनुभव किया जा सकता है। सुबह-सुबह हाथ में गेहूं के दाने लिए महिलाएं व्रत कथाओं को कहते सुनते मिलेंगी। कहीं पीपल के तले तो कहीं तुलसी क्यारे या वृंदावन के पास या फिर घर में देव दरबार के सामने। शीतला माता की व्रत कथा के साथ ही सात दिन की कथाएं तो पूरी हो गई मगर दशामाता की कहानियां इन दिनों जारी है। दशामाता, यानी चेत्र कृष्णा 10 यह वह तिथि है जिसको देवी के रूप में माना गया है। यूं तो तिथियों की मान्यता का विकास भी शक्ति के रूप में ही हुआ है। यह नवांक से आगे संख्या की गणना के वृद्धिगत होने का सूचक है।
क्योंकि, दशामाता के पर्व के साथ जो कथा जुड़ी है, वह बहुत पुरानी है। जूआ की क्रीडा, जिसका जिक्र वैदिक काल से ही मिलता है, के फल के साथ ही दुर्दिनों के आगमन और सुदिन के फलित होने का जिक्र इस तिथि के साथ वैसे ही जुड़ा जैसे शून्य यदि 1 के अंक के आगे हो तो न्यूनफल और 1 के बाद हो तो दस गुणा हो जाता है… नैषधीय चरित, नलोपाख्यान, देवी दमयन्ती और देव नल.. कितने ही नामों से इस पर्व से जुड़ी कहानी ख्यातिलब्ध रही है। महाभारत के वनपर्व में जब इस कथा का समावेश हुआ तो इस फल के साथ :
ककोटकस्य नागस्य दमयन्त्या नलस्य च।
ऋतुपर्णस्य राजर्षे: कीर्तनं कलिनाशनम्।।
कई उपयोगी सूक्तियां इसमें शामिल की गईं किंतु महिलाओं ने इस कथा को अपने ढंग से ही याद रखा। वे जल से भरे पात्र के आगे इस कथा को कहती सुनती हैं और इसके साथ ही अन्य दस कथाओं को रोजाना सुनती है, मगर जरूरी नहीं। हां, दशमी के दिन दस कथा सुने बिना जल का घूंट भी हलक को नहीं लांघता। इस बीच, दस दिनों में जिस दिन रविवार हो, उस दिन बिना पति का मुख देखे व्रत और व्रत को खोलना..।
इसी तरह यह पर्व सूर्य और पीपल पूजा के साथ भी जुड़ा हुआ है। दशमी को मुहूर्त के साथ पीपल की परिक्रमा करते हुए, सूत लपेटते हुए, आटे के बने आभूषण चढ़ाते हुए, अरघ, धूप, दीप.. और घर लौटने से पूर्व पीपल की छाल को सोना मानकर देव दरबार में निवेदन करना नहीं भूलती..। गले में पीला धागा धारण करती हैं.. यह डोरक व्रत है और सासू, जेठानी द्वारा यह उन वधुओं को भी दिलवाया जाता है जिनका विवाह पिछले एक साल में हुआ है।
बस… यही क्रम चल रहा है आज कल आस्था की पगडंडी पर,,,। क्या मेवाड़, क्या मालवा, क्या गोडवाड़ और क्या वागड़.. क्योंकि अच्छी दशा कौन नहीं चाहता। सभी को वांछित है न,, जय जय।