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मावली। जेंडर इक्विटी मूवमेंट इन स्कूल यजेम्स एण्ड कार्यक्रम के तहत तीसरे चरण में मावली में 2 बैच में चल रहे प्रशिक्षण में 45 अध्यापक भाग ले रहे है।
राजस्थान स्टेट कोंसिल फॉर एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग यआरएससीइआरटीद्धए इंटरनेशनल सेंटर फॉर रिसर्च ओन वीमेन और विकल्प संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में पंचायत समिती और उदय गेस्ट हाउस मे आयोजित किया जा रहा है। इस ट्रेनिंग में इक्वल कम्युनिटी फाउंडेशन पुणे के प्रतिनिधि और शिक्षा विभाग के प्रशिक्षित मास्टर ट्रेनर के द्वारा सन्दर्भ प्रदान किया जा रहा है।
इंटरनेशनल सेंटर फॉर रिसर्च ओन वीमेन की टेक्नीकल स्पेसियालिस्ट हेमलता ने प्रशिक्षण कार्यक्रम का आगाज करते हुए शिक्षा में जेण्डर की बात क्यों विषय पर बात करते हुए कहा कि सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली किशोर.किशोरियों के विचार और जेण्डर सम्बन्धी रुढियों तथा भूमिकाओं को प्रभावित करती है और उनके निर्माण में मुख्य भूमिकाएं निभाती है. ऐसे में जेंडर रुढियों से होने वाले नकारात्मक प्रभावों को समझते हुए एवं समानता का वातावरण बनाते हुए किशोर.किशोरियों के सम्पूर्ण विकास और पूर्ण क्षमताओं को हासिल करने में शिक्षक.शिक्षिकाएं बेहतर भूमिका निभा सकते हैंण्
स्टेट कोऑर्डिनेटर जेम्स प्रोग्रामर मनोज गौड ने बताया कि जेन्डर को ध्यान में रखते हुए राजस्थान में 2 जिलों के मावली सहित 4 ब्लाक के 400 स्कूलों में 6 से 8 वीं कक्षा के 20000 लडको तथा 15000 लड़कीयो के साथ यह जेंडर इक्विटी मूवमेंट इन स्कूल यजेम्सद्ध कार्यक्रम चलाया जा रहा हैण् उन्होंने बताया कि जेम्स कार्यक्रम का उद्देश्य समानता को बढ़ावा देनेए मर्दानगी से जुड़े स्वीकार्य और अपेक्षित सामाजिक मुद्दों पर चर्चा करना और सभी तरह की हिंसा का अस्वीकार्य करना हैण् इस कार्यक्रम के जरिये विद्यार्थियों में आत्मचिंतन के माध्यम से समानता की सोच विकसित करना हैण्
इक्वल कम्युनिटी फाउंडेशन पुणे के राहुल एव प्रवीण ने समानता के सत्र पर चर्चा करने हुए कहा कि सभी इन्सान बराबर होते हैए कोई भी किसी से श्रेष्ट नहीं होता हैण् किसी भी इन्सान को काबिलियतए क्षमताए योग्यताएं और मिलने वाले अवसरों को जेंडर के आधार पर निर्धारित करना जेंडर आधारित भेदभाव हैण् इसे अस्विकार करने और बदलने की जरुरत हैण्
मास्टर ट्रेनर सरोज खिंची एवं तोषी सुखवाल ने कहा कि जेंडर रूढ़िवादिता महिला.पुरुष दोनों के बीच अलग.अलग भूमिकाएंए काम और मूल्य निर्धारित करता हैण् जैसे.जैसे बच्चे बड़े होते हैण् वैसे.वैसे इस सामाजिक संदेशों को आत्मसात करते जाते हैण् उनमे स्कूल भी एक मुख्य स्थान है जहाँ से ऐसे सन्देश मिलते हैण् जो भी इन का अनुसरण नहीं करते है तो उसकी आलोचना होती हैण् और उनको कष्ट झेलना पड़ता हैण् जेंडर समानता की यह मुहीम ऐसे कठोर विचारधारा में बुनियादी बदलाव लाया जा सकेगा.
प्रशिक्षण कार्यशाला में भाग ले रहे अध्यापकगण ने शिक्षाए जेंडरए समानताए मानव अधिकारए भेदभावए सत्ता, पितृसत्ता जैसे विषय पर अपने विचार रखे.विकल्प संस्थान और जेम्स कार्यक्रम से जुड़े उषा चैधरीए योगेश जीएत्रिलोकचन्द वर्मा,जफर, हरिराम, उमेश, भानु] संजय,सचिन,चन्दा,मधु और रामदयाल ने प्रशिक्षण कार्यशाला का संचालन किया और विभिन्न गतिविधियों आयोजित की.