चांदनी रात में सांस्कृतिक रंग-रसों की बारिश ने उमड़ाया सुकून का दरिया
देश-दुनिया में मशहूर लोक कलाकारों की प्रस्तुतियों ने मोहा मन
जयपुर। विश्वविख्यात मरु महोत्सव के अन्तर्गत सोमवार रात जैसलमेर के शहीद पूनमसिंह स्टेडियम में माघी तेरस की चांदनी तले लोक सांस्कृतिक कार्यक्रम ने जैसाण के बाशिन्दों से लेकर देश के विभिन्न हिस्सों से आए रसिकों को खूब आनंदित करते हुए अपूर्व सुकून का अहसास कराया। राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मशहूर लोक कलाकारों की एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियों ने पूनम स्टेडियम में लोक लहरियों का ज्वार उमड़ा दिया। इन आयोजनों का लुत्फ उठाने हजारों की संख्या में रसिक जमे रहे और रह-रहकर करतल ध्वनियों से लोक कलाकारों को दाद देते रहे।
लोक सांस्कृतिक निशा में सैन्य अधिकारीगण, नगर परिषद सभापति हरिवल्लभ कल्ला, बीसूका समिति के उपाध्यक्ष श्री उम्मेदसिंह तंवर, बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष श्री अमीन खां, पूर्व जिलाप्रमुख श्रीमती अंजना मेघवाल, पूर्व प्रधान अमरदीन फकीर, जिला कलक्टर डॉ. प्रतिभा सिंह, जिला पुलिस अधीक्षक श्री भंवरसिंह नाथावत, मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. टी. शुभमंगला, सहित जिलाधिकारीगण, जनप्रतिनिधिगण, गण्मान्य नागरिक एवं हजारों की संख्या में सैलानी तथा क्षेत्रवासी उपस्थित थे।
सांस्कृतिक निशा में स्थानीय लोक कलाकार छुंगे खां, बरणा ने मोरचंग, खड़ताल एवं चंग पर राजस्थानी लोक गीत ‘बालम जी म्हारा रिमझिम बरसो मेघ’ की शानदार प्रस्तुति से वेलेन्टाईन डे की भावनाओं को प्रतिध्वनित किया। संगीता जोधपुर का कालबेलिया नृत्य ‘काल्यो कूद पड्यो मेले में’ पर जोरदार नृत्य प्रस्तुत कर माहौल में मेला रंगों और रसों से झरने वाले आनंद की याद दिला दी। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के विनिता एवं दल के कलाकारों ने बधाई एवं नोरता गीत-नृत्य ‘नैना बंध लागे कहियों’ प्रस्तुत कर लोक जीवन के इन्द्रधनुषी सरोकारों से परिचित कराते हुए खूब आनंदित किया।
उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के मंदीप सिंह एवं कलाकारों के दल ने हिमाचल प्रदेश का डोगरी नृत्य प्रस्तुत करते हुए नोंक-झोंक को अपने गायन और नृत्य का पुट देते हुए रसिकों को खूब गुदगुदाया।
वल्र्ड बुक फेयर मेक्सिको, कनाड़ा में अपने नृत्य की धूम मचाने वाली मीरादेवी करदा गोगुन्दा, उदयपुर की अन्तर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त तेरहताली पार्टी ने तेरहताली नृत्य पेश कर मेवाड़ की समृद्धि सांस्कृतिक कला परम्पराओं का दिग्दर्शन कराया। मीरा देवी के साथ डालू दास, लतीफ खां, इलियास, किरण कुमारी, पुश्बा कामद आदि ने शानदार प्रस्तुति देकर खूब वाहवाही लूटी।
जैसलमेर की युवा कलाकार किरण भाटी ने गीत ‘एक राधा-एक मीरा’ पेश करते हुए अपनी सुमधुर आवाज की यादगार छाप छोड़ी।
गौतम परमार बाड़मेर ने चरी नृत्य, पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के कलाकारों राजदीप एवं दल ने ‘सात समन्दर’ बोल पर जोश और उमंग के साथ रास गरबा और डाण्डिया नृत्य प्रस्तुत कर नवरात्रि और होली के फागुनी रंग-रसों की यादों को ताजा कर दिया।
उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से शिवानी नेगी एवं अन्य लोक कलाकारों ने देव पूजा आवाहन थीम पर हिमाचल का झमकड़ा नृत्य पेश कर व्यंग्य रसों की बारिश कर भरपूर मनोरंजन किया।
जैसलमेर के कलाकार आवड़राम पोकरण का भवई एवं घुटना चकरी नृत्य और सांवण खां रामगढ़ का सूफी गायन ‘बुल्लेशाह रंगी-रंग बनाया, आदमी बनाया’ बेहद पसंद किया गया।
पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से प्रथमेश एवं दल के कलाकारों द्वारा लावणी एवं कोली नृत्य, मछुआरा नृत्य पेश किया गया। डीग भरतपुर के जितेन्द्र ब्रजवासी एवं दल के कलाकारों ने मयूर नृत्य पेश करते हुए रसिकों के मन मयूर पर अच्छा खासा प्रभाव डालते हुए आनंदित कर दिया। रवि पंवार एवं कला दल की ओर से प्रस्तुत कोइर सिम्फनी ने लोक वाद्यों और कलाकारों की बहुआयामी कला प्रतिभाओं से रूबरू कराते हुए मनोरंजनिया रस-रंगों की बारिश कर दी। मंच संचालन विजय बल्लाणी, प्रीति भाटिया, ज्योति रंगा एवं पारस स्वामी ने किया।