https://www.fatehnagarnews.com
गो कथा में झूमें भक्त
फतहनगर. नगर के मुदगल वाटिका में चल रही गौ कृपा कथा के तीसरे दिवस संत गोपालानंद सरस्वती (जगदीश गोपाल महाराज) ने कहा कि इस युग में हर इंसान उत्तम संतान की प्राप्ति के लिए लालयित रहता है । अब श्रवण जैसा मातृ-पितृ भक्त पुत्र प्राप्त करने के लिए माँ को क्या करना चाहिए । जैसे ही स्त्री को पता चले की गर्भ धारण हो गया है । उसी दिन प्रातः जल्दी उठना प्रारम्भ करे । नहाकर सवासेर (800 ग्राम) जौ को हाथ की चक्की से दलिया बनावें । दलिया बनाते समय गौमाता जी, भगवान श्री कृष्ण एवं अपने इष्ट का भजन करे । सामान्यतया हाथ की चक्की को केवल आटा ,दलिया, दाल बनाने का साधन समझा जाता है। लेकिन हाथ की चक्की जब घूमती है तो उसमे से घड़घड़ाहट की आवाज निकलती है। जो ब्रह्मनाद का स्वर है जो जीव का सम्बन्ध शिव से करा देती है। जब गर्भवती नारी चक्की चलाती है तो उसके स्वर का प्रभाव गर्भस्त जीव पर पड़ता है। चक्की जब घूमती है तो भगवान नारायण के सुदर्शन चक्र की शक्ति को खींच कर गर्भ के जीव तक पहुँचाती है और गर्भस्थ शिशु गर्भावस्था में ही शक्ति सम्पन्न हो जाता है । इसके पश्चात गौमाता को स्पर्श करते हुए परिक्रमा करें ,गौमाता जी के साथ नंदी महाराज की भी परिक्रमा करनी चाहिए । गर्भ पर गौमाता जी की पुंछ 9 बार घुमावें। फिर श्रद्धा से भूमि पर बैठकर गौमाता जी को प्रणाम कर उत्तम संतान हेतु प्रार्थना करें । पूर्ण सात्विक भोजन करें । अब बात रही दूध की तो दूध के लिए सर्वविदित कहावत है कि- नौ माह तक माता जैसा दूध पीवे , वेसा ही उसका पूत होवे । अन्य भाषा भेद के साथ एक गाली जो सम्पूर्ण भारत में प्रचलित है। उस गाली से गौ दुग्ध की महिमा जल्दी समझ में आएगी । जब कोई छोटा बच्चा अपनी बूढी दादी को परेशान करें । बूढी दादी की नहीं सुने बूढी दादी की नहीं माने तब दादी अपने नाती-पोते को गाली देती है। कि ” तेरी माँ ने ऐसा क्या खाकर पैदा किया रे तुझे ” या ” थारी माँ अस्यो कइ खान जण्यौरे थने ” इस गाली का भावार्थ समझो ” माँ ने नौ मास जैसा खाया बच्चा हुआ । अगर माता नौ महीने तक दूध भैंस का पियेगी तो बच्चा शत्-प्रतिशत पाड़े जेसा होगा । पाडा तो कभी किसी की सुनता ही नहीं है । और माता अगर नौ महीने तक दूध गैया मैया का पियेगी तो पुत्र कृष्ण कन्हैया जैसा होगा । आप चाहते है कि आपका पुत्र जीवन भर आपकी सुने तो गर्भावस्था में दूध गौमाता का ही उपयोग में लेना चाहिए । वैसे भी गर्भावस्था ने माँ को कैल्शियम, आयरन व जिन पोषक तत्वों की आवश्यकता अधिक होती है । वह सारे पोषक तत्व गौमाता जी के दूध में विद्यमान होते है। गौ दुग्ध एक पूर्ण आहार है।
गाय माता का दूध पीने से व्यक्ति की बुद्धि का विकास होता है और उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है इसी के साथ गौ दुग्ध में केरोटिन नामक पदार्थ होता है जो आलस्य को कम करके बुद्धि की तीव्रता को बढ़ाता है । इसीलिए गाय माता का दूध विद्यार्थियों के लिए बहुत उपयोगी है । गाय माता का साथ करने से बच्चा सतोगुणी बनता है और उसके तामसिक गुण समाप्त होते है । परिणाम स्वरूप् वह अच्छी पढ़ाई कर पाता है । लेकिन आजकल के माता-पिता बच्चों को नोकरी के उद्देश्य से पढ़ाई करवा रहे है। बच्चों के साथ उनके शिक्षक भी गाय माता का दुग्ध पान कर शिक्षा अध्ययन करावें , तो वे देश में महाराणा प्रताप और छत्रपति शिवाजी जैसे पुत्र का निर्माण कर पाएंगे। जेसे कि रामकृष्ण परमहंस जी ने विवेकानंद जी और समर्थ गुरु रामदास जी ने छत्रपति शिवाजी जैसे महान् आदर्शो को शिक्षा प्रदान की। इस प्रकार शिक्षा पद्धति को गाय माता के साथ से आगे बढ़ाकर हमारे देश को एक सच्चा राष्ट्रभक्त एक गौभक्त प्रदान कर सकें।
जेजीएम गुरुकुलम के निदेशक शंकर जाट ने बताया कि कथा के तीसरे दिन के यजमान रमेश मालीवाल आकोला ने पूजन का लाभ लिया । राधेश्याम बागला, अशोक कुमार पालीवाल, छोगालाल जाट, मिश्रीलाल सनवाड़,नंद लाल साहू, गोपीलाल सुथार, प्रकाश सेन, भगवानलाल जाट, प्रकाश तेली, बंशीलाल तेली, नरेश मंडोवरा, प्रहलाद राय मंडोवरा, बाबूलाल तेली ने आरती का लाभ लिया । इस अवसर पर आयोजन समिति के कैलाश अग्रवाल, हुकुम सिंह, रमेश तेली, कैलाश खण्डेलवाल, मनीष गोयल, कैलाश साहू, जितेंद्र गडोलिया, रोशन खटीक, श्रवण खटीक, मदन तेली सहित फतेहनगर सनवाड़ के सैकड़ो कार्यकर्ता व हज़ारो श्रद्धालु मौजूद रहे।