तकनीक एवं अनुसंधान के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाया जाए ज्योतिष विज्ञान प्रोफेसर चौधरी
उदयपुर। ज्योतिष मानव जीवन से जुड़ा विषय है और इसके अध्ययन अनुसंधान एवं तकनीक के माध्यम से इसे आम जन तक पहुंचाने का सतत प्रयास किया जाना चाहिए।
यह बात सुखाड़िया विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति व माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर बीएल चौधरी ने रविवार को निंबार्क महाविद्यालय सभागार में ज्योतिष अध्ययन एवं अनुसंधान संस्थान द्वारा दो दिवसीय ज्योतिष सम्मेलन के समापन सत्र में कहीं। उक्त सम्मेलन पूर्व सांसद भानु कुमार शास्त्री की स्मृति में आयोजित किया गया था। प्रोफेसर चौधरी ने कहा कि मानव जीवन में ज्योतिष एवं कर्मकांड का अति महत्व है जो कि हमारी सनातन परंपरा का हिस्सा है ज्योतिष विज्ञान की विभिन्न विधाओं का संरक्षण किया जाना चाहिए साथ ही इसे सरलता के साथ आमजन तक भी पहुंचाना चाहिए ताकि इस विद्या का लाभ आम आदमी तक भी पहुंच सके। कार्यक्रम के शुरू में पंडित जगदीश जी माली ने मंगलाचरण किया अतिथियों का स्वागत संस्थान के पदम कुमार शर्मा,पंडित अखिलेश शर्मा व डॉ सुरेश चंद्र जोशी ने किया।
ज्योतिष अनुसंधान संस्थान के अध्यक्ष हरीश चंद्र शर्मा ने उक्त ज्योतिष सम्मेलन की जानकारी देते हुए 2 दिन का प्रतिवेदन भी प्रस्तुत किया। साथ ही उन्होंने बताया कि 2 दिन के इस कार्यक्रम में कुल 40 विभिन्न विद्वानों ने पत्र वाचन किए। शर्मा ने कहा कि ज्ञान के संरक्षण के लिए पुस्तकों का प्रकाशन आवश्यक है लेकिन ज्ञान वृद्धि के लिए तपस्या अनुसंधान एक जरूरी हिस्सा है।
कार्यक्रम के अध्यक्ष एवं कोटा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर मनोहर कालरा ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि अध्ययन अनुसंधान क्षेत्र में क्षेत्र में सतत प्रक्रिया व जीवन का आवश्यक है इसी प्रक्रिया का महत्व रहा है क्योंकि निरंतर प्रवाह मान होकर आम जीवन एवं जनमानस को मार्गदर्शन कर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है। ज्योतिष विज्ञान एक ऐसा विषय है जो कि अनुसंधान को स्वीकार करता है। सभी अतिथियों का उपरना ओढाकर और मेवाड़ी पगड़ी पहनाकर अभिनंदन किया गया। धन्यवाद ज्ञापन पदम कुमार शर्मा ने किया।
दो दिवसीय इस ज्योतिष सम्मेलन में विभिन्न वक्ताओं ने ज्योतिष की विभिन्न विधाओं से जुड़े पत्र वाचन प्रस्तुत किए। हरिश्चंद्र शर्मा ने जुड़वा संतानों के विषय में जानकारी दी वहीं डॉ अखिलेश शर्मा ने कालचक्र गणना भगवती शंकर व्यास ने षोडश संस्कार, डॉक्टर अलकनंदा शर्मा ने वर्षफल का महत्त्व, आरपी शर्मा ने वर्षफल मार्गदर्शन, कल्पना शर्मा ने वास्तु विज्ञान, स्वरविज्ञानी डॉ दीपक आचार्य ने स्वर विज्ञान के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराया जिस विषय पर चर्चा संगोष्ठी हुई। इससे पूर्व प्रातः कालीन सत्र में अहमदाबाद की स्मिता सुथार ने हस्तरेखा एवं हस्ताक्षर विज्ञान प्रदर्शन, मंगल दोष निवारण, जितेंद्र त्रिवेदी ने एवं आराध्य देव, विष्णु भाई वैष्णव ने केपी पद्धति, जगदीश जी ने वेद विद्या, सुनील त्रिपाठी, रीना जोशी, विष्णु प्रकाश, प्रकाश प्रसाद, रामेश्वर प्रसाद, सुरेश जोशी आदि ने ज्योतिष की विभिन्न विधाओं से परिचय करवाया एवं पत्र वाचन प्रस्तुत किये। इन विषयों पर वक्ताओं ने जानकारी के बाद श्रोताओं के साथ चर्चा भी की। कार्यक्रम का संचालन भगवती शंकर व्यास एवं अखिलेश शर्मा ने किया।
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