उदयपुर। पुजारी श्री लक्ष्मी लाल गमेती के अनुसार नीम के पेड़ से माताजी प्रकट हुई थी इसलिए नीमच माताजी नाम पड़ा है। श्री नीमच माताजी के श्री चरणों से देवाली ग्राम की महिलाओं द्वारा पूजन कर खुदाई कर मिट्टी को घर ले जाकर स्वास्तिक बना पूजन किया जाता है। महिलाओं द्वारा बताया गया कि वे प्रारंभ से धनतेरस के दिन सुबह यहां से मिट्टी ले जाती है। वे इस मिट्टी को धन ले जाना बोलती है। मान्यता है कि इससे घर में लक्ष्मी जी का वास होता है। महिलाओं द्वारा पत्थर से घर बनाने की मान्यता भी है। कहा जाता है इससे जिसके मकान नहीं हो उसका मकान बन जाता है। प्रातः व सायंकाल की मां की आरती पूरे फतहसागर पर गुजती हुई वातावरण को देवमय बना देती है।