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जयपुर, 9 फरवरी। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री रघु शर्मा ने कहा कि प्रदेश में कम वजनी, कुपोषित और समय से पहले जन्मे नवजात शिशुओं की बेहतर देखभाल के लिए सरकार ‘नवजात सुरक्षा योजना‘ लाएगी। उन्होंने कहा कि कंगारू मदर केयर पद्धति को भी ‘निरोगी राजस्थान’ का हिस्सा बनाया जाएगा।
डॉ. शर्मा रविवार को एसएमएस मेडिकल कॉलेज के ऑडिटोरियम में आयोजित कंगारू मदर केयर कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में किसी भी नवजात की मौत ना हो इसके लिए जल्द ही ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू किया जाएगा। इस प्रोग्राम के लिए 77 मास्टर ट्रेनर्स तैयार किए जा चुके हैं, जोकि जिला और ब्लॉक स्तर पर जाकर आमजन को ‘कंगारू मदर केयर‘ के बारे में जागरूक करेंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश भर में लगाए जाने वाले स्वास्थ्य मित्रों को भी कंगारू मदर केयर का प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि प्रदेश में शिशु मृत्यु दर में और कमी आ सके।
चिकित्सा मंत्री ने कहा कि नवजातों के लिए ‘कंगारू मदर केयर‘ बेहतरीन कॉन्सेप्ट है, जिसमें बिना किसी खर्चे के केवल ‘स्पर्श चिकित्सा‘ के जरिए बच्चा बेहतर स्वास्थ्य पा सकता है। उन्होंने बताया कि प्रदेश भर में शिशु मृत्यु दर में हालांकि कमी आई है। पहले जहां यह 41 प्रतिशत था वहीं अब 35 प्रतिशत रह गया है। आने वाले समय में इसे और भी कम किया जाएगा।
इससे पहले सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सुधीर भ्ांडारी ने कंगारू मदर केयर के बारे में बताते हुए मां की गोद को प्राकृतिक इन्क्यूबेटर बताया। उन्होंने कहा कि विज्ञान के अनुसार केएमसी कॉन्सेप्ट के जरिए ही बच्चे का संपूर्ण विकास होता है।
यूनिसेफ के प्रतिनिधि श्री ल्यूई डी ओक्वीने ने बताया कि अन्य राज्यों के मुकाबले राजस्थान में शिशु मृत्यु दर में कमी आई है। यूनिसेफ सरकार के साथ मिलकर केएमसी पद्वति पर काम करेगी और नवजातों की देखभाल में अहम भूमिका निभाएगी।
इस अवसर पर कंगारू मदर केयर संस्थान के संस्थापक और अध्यक्षा डॉ. शशि वाणी ने बताया कि संस्थान देश भर में ऎसी कॉन्फ्रेंस कर आमजन और डॉक्टर्स में केएमसी के प्रति जागरूकता ला रहा है। उन्होंने बताया कि आज की कॉन्फ्रेंस में भी देश भर के 400 से ज्यादा विशेषज्ञ और डॉक्टर्स ने हिस्सा लिया है।
कॉन्फ्रेंस में प्रोफेसर निबालकर, जेके लॉन अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अशोक गुप्ता, डॉ. एमएल गुप्ता, प्रोफेसर दीपा बानकर, प्रोफेसर सिद्धार्थ रामजी सहित कंगारू मदर केयर से बचे बच्चे व उनकी माएं भी उपस्थित थीं।