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जयपुर, 3 फरवरी। आगामी बोर्ड परीक्षाओं में बच्चों के तनाव तथा दवाब को कम करने के लिए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग तथा राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के संयुक्त तत्वाधान में सोमवार को यहॉ इंदिरा गांधी पंचायती राज संस्थान में राज्यस्तरीय एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यशाला में राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष श्रीमती संगीता बेनीवाल ने कहा कि विद्यार्थियों को परीक्षा के दौरान भय, तनाव तथा व्याकुलता से बचाने के लिए इस कार्यशाला का आयोजन किया गया है। उन्होंने कहा कि देश में परीक्षा के दबाव के कारण सुसाइड करने वाले विद्यार्थियों का प्रतिशत सबसे ज्यादा है जिसे रोके जाने की सख्त जरूरत है। उन्होंने जिला शिक्षा अधिकारियों को कहा कि वे विद्यार्थियों तथा उनके माता- पिता से बात करें तथा परीक्षा में बच्चों को अवसाद से दूर रखने का हर संभव प्रयास करें।
उन्होंने माता- पिता से भी अपील की कि वे अपने बच्चों को किसी भी प्रकार का तनाव ना दें तथा उन्हें परीक्षा में अच्छे प्रतिशत लाने के लिए किसी भी प्रकार के लुभावने प्रलोभन ना दे। उन्होंने कहा कि माता- पिता को अपने बच्चों को जिस भी क्षेत्र में वे जाना चाहे, उस क्षेत्र में जाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए जिससे वह उस क्षेत्र में मन लगाकर काम कर आगे बढ़ सके। उन्होंने कहा कि बच्चे हमारे देश की अमूल्य धरोहर है तथा मनोवैज्ञानिक दबाव के कारण उनके व्यक्तित्व को नकारात्मक रूप से प्रभावित नहीं होने दिया जाना चाहिए।
कार्यशाला में आयोग के सदस्य डॉ. शैलेन्द्र पंड्या ने कहा कि विभाग तथा आयोग द्वारा इस तरह का नवाचार किया जाना चाहिए कि बच्चें परीक्षा को डर तथा तनाव ना मानकर राष्ट्रीय पर्व मानें। उन्होंने कहा कि आयोग द्वारा प्रथम स्तर पर राज्य के 10 जिलों में इस तरह की जिला स्तरीय कार्यशाला शुरू करने की पहल की गई है जिसमें जिला शिक्षा अधिकारी आयोग के प्राप्त निर्देशों के अनुसार बच्चों में परीक्षा का तनाव कम करने का प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि जिला शिक्षा अधिकारी विद्यालयों में इस समय बाल सभा का आयोजन करावें तथा वहां प्रेरक वक्ताओं को बुलाकर बच्चों के परीक्षा संबंधी तनाव को दूर करने का प्रयास करें।
कार्यशाला में राष्ट्रीय बाल संरक्षण अधिकार आयोग की रिसोर्स सदस्य श्रीमती अंकिता अग्रवाल ने कहा कि सभी अध्यापकों को बच्चों को शिक्षा की सार्थकता के बारे में समझाना होगा तथा शोध आधारित शिक्षा का प्रयास करना होगा। उन्होंने कहा कि विद्यालयों के अतिरिक्त कोंचिग संस्थानों में बच्चों पर परीक्षा का दबाव दिया जाता है जिसे भी रोके जाने की सख्त आवश्यकता है। उन्होंने प्रस्तुतिकरण के माध्यम से विद्यार्थियों में परीक्षा के कारण हुए तनाव के कारण तथा निराकरण के लिए भी सुझाव दिए।
कार्यशाला में आए विद्यार्थियों ने आयोग के समक्ष सवाल पूछे जिसके आयोग के सदस्य तथा विषय विशेषज्ञों ने जवाब दिए। इस अवसर पर राजस्थान राज्य बाल अधिकार आयोग के सदस्य डॉ. विजेन्द्र सिंह, माध्यमिक शिक्षा विभाग के संयुक्त निदेशक श्री बंशीधर गुर्जर, शिक्षाविद्, राज्यभर के जिला शिक्षा अधिकारी, अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी, डाइट के प्रधानाचार्य मौजूद थे।
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