फतहनगर। श्रमण संघीय प्रवर्तक महाश्रमण पूज्य गुरुदेव मदन मुनि म.सा.मधुर वक्ता कोमल मुनि, पूज्य श्री संभव मुनि म.सा.रमेश मुनि म.सा.ठाणा,4 शिष्य परिवार के साथ फतहनगर पावन धाम में पधारे।
रितेश मुनि म.सा.,प्रभात मुनि तथा महासाध्वी पूज्य श्री राजमती म.सा.,वजय प्रभातम.सा.,साध्वी विद्या श्रीजी म.सा.ठाणा 3, साध्वी श्री मणिप्रभा,श्री दर्शनप्रभा, रुचिका जी म.सा.ठाणा 3, साध्वी श्री मनीषा म.सा.,साध्वी पूर्वा श्रीजी,विदुषी साध्वी प्राची श्रीजी म.सा.ठाणा 3 आदि संतजन पावनधाम में पधारे। पावनधाम के सदस्यगणों ने सभी त्यागी संतों की अगवानी एवं सम्मान किया। मदनमुनि म.सा. ने मंगल पाठ फरमाया। पावनधाम में पूज्य साध्वी मणिप्रभा का 57 वां जन्म दिवस त्याग,तपस्या,आराधना के साथ मनाया। गुरु अम्बेश समाधि स्थल पर नमोथुनंग का भी जाप कराया गया जिसमें सभी भाई बहनों ने श्रद्धा भक्ति भावों के साथ लाभ लिया।
इस अवसर पर मदनमुनि ने कहा कि संत एक चलते फिरते तीर्थ के समान होते हैं। संत जीवन को बनाने का काम करते हैं। मनुष्य पापों से डरे पुण्य का उपार्जन करें। जो मनुष्य हरदम आराधना करता है वह इस लोक और परलोक में सुख को प्राप्त कर लेता है। यह मनुष्य का जीवन व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। जीवन की अर्थी उठने से पहले जीवन के अर्थ को समझना आवश्यक है। अक्षर मनुष्य अंत में पश्चाताप करता है कि मैंने अपनी आत्मा के लिए और परमात्मा के लिए इस संसार में आकर कुछ नहीं किया। हर मनुष्य को जागृत अवस्था में रहकर प्रभु की उपासना करनी चाहिए तभी यह बहुत सार्थक होगा। फतहनगर पावन धाम के अध्यक्ष मनोहरलाल लोढ़ा,प्रमुख प्रकाशचन्द्र सिंघवी, सचिव दिनेश सिंघवी समेत अन्य पदाधिकारी व श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित थे।