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उदयपुर

प्रधानमंत्री मोदी ने हरी झण्डी दिखाकर उदयपुर-अहमदाबाद ब्रोडगेज पर रेलों का किया शुभारंभ,उदयपुर से नेता प्रतिपक्ष कटारिया,सांसद एवं विधायक ने दिखाई हरी झण्डी

फतहनगर। उदयपुर-अहमदाबाद गेज परिवर्तन के बाद एकता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जहां असारवा स्टेशन से शाम को रेल गाड़ी को हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया वहीं उदयपुर से नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया,सांसद सी.पी.जोशी,उदयपुर सांसद अर्जुनलाल मीणा,विधायक फूलचंद मीणा तथा अन्य ने हरी झण्डी दिखाकर अहमदाबाद के लिए गाड़ी को रवाना किया।

अहमदाबाद में प्रधानमंत्री मोदी ने आयोजित कार्यक्रम के दौरान कहा कि गुजरात के विकास के लिए, गुजरात की कनेक्टिविटी के लिए आज बहुत बड़ा दिन है। गुजरात के लाखों लोग जो एक बड़े क्षेत्र में ब्रॉड गेज लाइन न होने की वजह से परेशान रहते थे, उन्हें आज से बहुत राहत मिलने जा रही है। अब से कुछ देर पहले मुझे असारवा रेलवे स्टेशन पर, असारवा से उदयपुर जाने वाली ट्रेन को हरी झंडी दिखाने का अवसर मिला। लूणीधर से जेतलसर के बीच बड़ी लाइन पर चलने वाली ट्रेनों को भी आज हरी झंडी दिखाई गई है। आज का ये आयोजन, सिर्फ दो रेलवे रूटों पर दो ट्रेनों का चलना ही नहीं है। ये कितना बड़ा काम पूरा हुआ है, इसका अंदाजा बाहर के लोग आसानी से नहीं लगा सकते। दशकों बीत गए इस काम के पूरा होने का इंतजार करते-करते। लेकिन ये काम पूरा करने का सौभाग्य भी मेरे ही खाते में लिखा हुआ था। बिना ब्रॉड गेज की रेलवे लाइन एक अकेले टापू की तरह होती है। यानि बिना किसी से जुड़ी हुई। ये वैसे ही है, जैसे बिना इंटरनेट का कम्‍प्‍यूटर, बिना कनेक्शन का टीवी, बिना नेटवर्क का मोबाइल। इस रूट पर चलने वाली ट्रेनों, देश के दूसरे राज्यों में नहीं जा सकती थीं, ना ही दूसरे राज्यों की ट्रेनें यहां आ सकती थीं। अब आज से इस पूरे रूट का कायाकल्प हो गया है। अब असारवा से हिम्‍मतनगर होते हुए उदयपुर तक मीटर गेज लाइन, ब्रॉड गेज में बदल गई है। और आज हमारे इस कार्यक्रम में गुजरात के साथ-साथ राजस्थान के लोग भी बहुत बड़ी संख्या में जुड़े हुए हैं। लूणीधर-जेतलसर के बीच जो गेज परिवर्तन का काम हुआ है, वो भी इस क्षेत्र में रेलवे कनेक्टिविटी को आसान करेगा। यहाँ से निकली ट्रेनें देश के किसी भी हिस्से में जा सकेंगी। जब किसी रूट पर मीटर गेज की लाइन, ब्रॉड गेज में बदलती है, तो वो अपने साथ अनेकों नई संभावनाएं लेकर आती है। असारवा से उदयपुर तक लगभग 300 किलोमीटर लंबी रेल लाइन, उसका ब्रॉड गेज में बदलना, इसलिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। इस रेल खंड के ब्रॉड गेज हो जाने से गुजरात और राजस्थान के आदिवासी क्षेत्र, दिल्ली से जुड़ जाएंगे, उत्तर भारत से जुड़ जाएंगे। इस रेल लाइन के ब्रॉड गेज में बदलने के कारण अहमदाबाद और दिल्ली के लिए एक वैकल्पिक रूट भी उपलब्ध हो गया है। इतना ही नहीं, अब कच्‍छ के पर्यटन स्थल और उदयपुर के पर्यटन स्थलों के बीच भी एक डायरेक्ट रेल कनेक्टिविटी स्थापित हो गई है। इससे कच्‍छ, उदयपुर, चित्तौड़गढ़ और नाथद्वारा के पर्यटन स्थलों को बहुत बढ़ावा मिलेगा। दिल्ली, मुंबई और अहमदाबाद जैसे बड़े औद्योगिक केंद्रों से सीधे जुड़ने का भी लाभ यहां के व्यापारियों को मिलेगा। विशेषकर हिम्मतनगर के टाइल्स उद्योग को तो बहुत मदद मिलने वाली है। इसी प्रकार, लूणीधर-जेतलसर रेल लाइन के ब्रॉड गेज में बदलने से अब ढसा-जेतलसर खंड पूरी तरह से ब्रॉडगेज में परिवर्तित हो गया है। ये रेल लाइन बोटाद, अमरेली और राजकोट जिलों से होकर गुजरती है, जहां अब तक सीमित रेल कनेक्टिविटी रही है। इस लाइन का कार्य पूरा होने से अब भावनगर और अमरेली, इस क्षेत्र के लोगों को सोमनाथ और पोरबंदर से सीधी कनेक्टिविटी का लाभ मिलने वाला है। इसका एक और लाभ होगा। इस रूट से भावनगर और सौराष्ट्र क्षेत्र के हमारे राजकोट, पोरबंदर और वेरावल, ऐसे शहरों की दूरी भी कम हो गई है। अभी भावनगर-वेरावल की दूरी लगभग 470 किलोमीटर है, जिसमें 12 घंटे लगते हैं। ये ब्रॉडगेज का काम पूरा होने के बाद, नया रूट खुलने के बाद अब ये घटकर करीब 290 किलोमीटर से भी कम रह गई है। इस वजह से यात्रा का समय भी 12 घंटे से घटकर साढ़े छह घंटे पर ही रह जाएगा। नया रूट खुलने के बाद भावनगर-पोरबंदर के बीच की दूरी करीब-करीब 200 किलोमीटर और भावनगर-राजकोट के बीच की दूरी करीब 30 किलोमीटर कम हो गई है। यह रेल रूट, इतना बिजी रहने वाले सुरेन्‍द्रनगर-राजकोट-सोमनाथ-पोरबंदर मार्ग के बीच एक वैकल्पिक रूट के रूप में उपलब्ध हो गया है। ब्रॉड गेज रूट पर चलने वाली ट्रेनें, गुजरात के औद्योगिक विकास को भी गति देंगी, गुजरात में पर्यटन भी आसान बनाएंगीं और जो क्षेत्र, देश से कटे हुए थे, उन्हें पूरे देश से जोड़ देंगी। आज राष्ट्रीय एकता दिवस के दिन, इस परियोजना का लोकार्पण करना, इसे और विशेष बना देता है। जब डबल इंजन की सरकार काम करती है, तो उसका असर सिर्फ डबल नहीं होता, बल्कि कई गुना ज्यादा होता है। यहां एक और एक मिलकर 2 नहीं बल्कि 1 के बगल में 1, 11 की शक्ति धारण कर लेते हैं। गुजरात में रेल इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास भी इसका एक उदाहरण है। मैं वो दिन कभी भूल नहीं सकता, जब 2014 से पहले गुजरात में नए रेल रूटों के लिए मुझे केंद्र सरकार के पास बार-बार जाना पड़ता था। लेकिन तब बाकी क्षेत्रों की तरह ही रेलवे के संबंध में भी गुजरात के साथ अन्यायपूर्ण व्यवहार किया जाता था। डबल इंजन की सरकार बने रहने से गुजरात में काम की रफ्तार तो तेज हुई ही, उसका विस्तार करने की ताकत भी तेज हुई है। 2009 से 2014 के बीच सवा सौ किलोमीटर से भी कम रेलवे लाइन का दोहरीकरण हुआ था, 2009-2014 सवा सौ किलोमीटर से कम। जबकि 2014 से 2022 के बीच साढ़े पांच सौ से ज्यादा किलोमीटर रेलवे लाइन का doubling दोहरीकरण, ये गुजरात में हुआ है। इसी तरह, गुजरात में 2009 से 2014 के बीच करीब 60 किलोमीटर ट्रैक का ही बिजलीकरण हुआ था। जबकि 2014 से 2022 के बीच 1700 किलोमीटर से अधिक ट्रैक का बिजलीकरण किया जा चुका है। यानी डबल इंजन की सरकार ने पहले के मुकाबले कई गुना ज्यादा काम करके दिखाया है। हमने सिर्फ स्केल और स्पीड को ही बेहतर नहीं किया, बल्कि अनेक स्तरों पर सुधार किया है। ये सुधार क्वालिटी में हुआ है, सुविधा में हुआ है, सुरक्षा में हुआ है, स्वच्छता में हुआ है। देशभर में रेलवे स्टेशनों की स्थिति में सुधार आज स्पष्ट दिखता है। गरीब और मध्यम वर्ग को भी आज वही माहौल दिया जा रहा है, जो कभी साधन-संपन्न लोगों की पहुंच में ही होता था। यहां गांधीनगर स्टेशन कितना आधुनिक और भव्य है, ये आप देख ही रहे हैं। अब अहमदाबाद स्टेशन को भी ऐसे ही विकसित किया जा रहा है। इसके अलावा भविष्य में सूरत, उधना, साबरमती, सोमनाथ और न्यू भुज जैसे स्टेशन भी आधुनिक अवतार के सामने नए रूप में आने लगे हैं। अब तो गांधीनगर से मुंबई के बीच वंदे भारत एक्सप्रेस सेवा भी शुरू हो गई है। इस रूट पर सबसे तेज रफ्तार वाली ट्रेन सेवा शुरू होने से ये देश का सबसे महत्वपूर्ण बिजनेस कॉरिडोर बन गया है। ये उपलब्धि डबल इंजन की सरकार की वजह से ही संभव हो पाई है। पश्चिम रेलवे के विकास को नया आयाम देने के लिए 12 गति शक्ति कार्गो टर्मिनल की योजना भी बनाई गई है। वडोदरा सर्कल में पहला गति शक्ति मल्टीमॉडल कार्गो टर्मिनल शुरू हो चुका है। जल्द ही बाकी टर्मिनल भी अपनी सेवाएं देने के लिए तैयार हो जाएंगे। डबल इंजन की सरकार से हर क्षेत्र में विकास की गति भी बढ़ रही है, और उसकी शक्ति भी बढ़ रही है। आजादी के बाद दशकों तक हमारे देश में अमीर-गरीब की खाई, गांव-शहर की खाई, असंतुलित विकास, बहुत बड़ी चुनौती रहे हैं। हमारी सरकार देश की इस चुनौती का भी समाधान करने में जुटी है। सबके विकास के लिए हमारी नीति एकदम साफ रही है। इंफ्रास्ट्रक्चर पर बल दो, मध्यम वर्ग को सुविधा दो और गरीब को गरीबी से लड़ने के लिए साधन दो। विकास की यही परंपरा आज पूरे देश में स्थापित हो चुकी है। गरीब के लिए पक्का घर, टॉयलेट, बिजली, पानी, गैस, मुफ्त इलाज और बीमा की सुविधाएं, ये आज सुशासन की पहचान हैं। आज मेट्रो कनेक्टिविटी, इलेक्ट्रिक वाहन, सोलर पावर, सस्ता इंटरनेट, बेहतर सड़कें, एम्स, मेडिकल कॉलेज, आईआईटी, इस प्रकार का इंफ्रास्ट्रक्चर आज देशवासियों को नए अवसर दे रहा है। कोशिश यही है कि सामान्य परिवारों का जीवन कैसे आसान हो। आना-जाना, व्यापार-कारोबार करना सरल कैसे हो। देश में अब कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए अप्रोच में बहुत बड़ा बदलाव आया है। अब सिर्फ ये नहीं है कि कहीं एक जगह सड़क बनी, कहीं दूसरी जगह रेल ट्रैक बिछ गया, कहीं तीसरी जगह एयरपोर्ट बन गया। अब कनेक्टिविटी का एक संपूर्ण सिस्टम तैयार किया जा रहा है। यानि यातायात के अलग-अलग माध्यम एक दूसरे से भी कनेक्ट हों, ये सुनिश्चित किया जा रहा है। यहां अहमदाबाद में ही रेल, मेट्रो और बसों की सुविधा एक दूसरे से जोड़ी जा रही है। इसी प्रकार दूसरे शहरों में भी इसी तरह काम हो रहा है। कोशिश यही है कि चाहे यात्रा हो या फिर माल ढुलाई, हर प्रकार से एक निरंतरता बनी रहे। एक मोड से निकले और सीधे दूसरे मोड पर चढ़े। इससे समय भी बचेगा और पैसों की भी बचत होगी। गुजरात एक बहुत बड़ा औद्योगिक सेंटर है। यहां लॉजिस्टिक कॉस्ट एक बहुत बड़ा विषय था। इससे व्यापार-कारोबार को, उद्योग जगत को तो परेशानी होती ही, इससे सामान की कीमत भी बढ़ जाती है। इसलिए आज रेलवे हो, हाईवे हों, एयरपोर्ट हों, पोर्ट्स हों, इनकी कनेक्टिविटी पर बल दिया जा रहा है। गुजरात के पोर्ट्स जब सशक्त होते हैं, तो इसका सीधा असर पूरे देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। ये हमने बीते 8 वर्षों में अनुभव भी किया है। इस दौरान गुजरात के पोर्ट्स की क्षमता लगभग दोगुनी हो चुकी है। अब वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर से गुजरात के पोर्ट्स को देश के दूसरे हिस्सों से जोड़ा जा रहा है। इसका एक बहुत बड़ा हिस्सा पूरा भी हो चुका है। मालगाड़ियों के लिए जो स्पेशल ट्रैक बिछाए जा रहे हैं, इससे गुजरात में भी उद्योगों का विस्तार होगा। नए सेक्टर के लिए अवसर बनेंगे। इसी प्रकार सागरमाला योजना से पूरी कोस्टलाइन में अच्छी सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है। विकास एक सतत प्रक्रिया होती है। विकास से जुड़े लक्ष्य किसी पर्वत के शिखर की तरह होते हैं। एक शिखर पर पहुंचते ही दूसरा उससे ऊंचा शिखर दिखने लगता है। फिर उस तक पहुंचने के प्रयास होते हैं। विकास भी ऐसी ही एक प्रक्रिया होती है। बीते 20 वर्षों में गुजरात ने विकास के अनेक शिखर पार किए हैं। लेकिन आने वाले 25 वर्षों में विकसित गुजरात का एक विराट लक्ष्य हमारे सामने है। जिस प्रकार बीते 2 दशकों में हमने मिलकर सफलता हासिल की है, उसी प्रकार अमृतकाल में भी एक-एक गुजराती को जुटना है, एक-एक गुजरातवासी को जुटना है। विकसित भारत के लिए विकसित गुजरात का निर्माण, यही हमारा ध्येय है। और हम सब जानते हैं, एक बार कोई गुजराती कुछ ठान ले, तो उसे पूरा करके ही रुकता है। इसी संकल्प-बोध के साथ और मैं आज हैरान हूं, आज सरदार पटेल की जन्म जयंती है। देश के लिए गौरव के पल हैं। जिस पुरुष ने, जिस महापुरुष ने हिन्‍दुस्‍तान को जोड़ा, हिन्‍दुस्‍तान को एक किया, आज उस एकता का लाभ हम ले रहे हैं। सरदार वल्लभ भाई पटेल देश के पहले गृहमंत्री थे। देश को जोड़ने का काम किया था। हर हिन्‍दुस्‍तानी को सरदार पटेल पर गर्व होता है, होता है कि नहीं होता है भाई? गर्व होता है कि नहीं होता है? होता है कि नहीं होता है? सरदार वल्लभ भाई पटेल भाजपा के थे? वो तो भाजपा के नहीं थे। सरदार वल्लभ भाई पटेल कांग्रेस के बहुत बड़े नेता रहे। आज उनके जन्मदिन पर मेरी दो अखबार पर नजर गई, दो अखबार पर। कांग्रेस पार्टी राजस्थान की कांग्रेस सरकार गुजराती अखबारों में full page उनका advertisement छपा है। कांग्रेस की सरकार का advertisement, लेकिन उस advertisement में आज सरदार वल्लभ भाई पटेल के जन्मदिन पर उस advertisement में ना सरदार पटेल का नाम है, ना सरदार पटेल की फोटो है, ना सरदार पटेल को श्रद्धांजलि है। ये अपमान, वो भी गुजरात की धरती पर, जो कांग्रेस सरदार पटेल को अपने साथ जोड़ नहीं पा रही है, वो क्या जोड़ सकती है? ये सरदार साहब का अपमान है, ये देश का अपमान है। वो तो भाजपा के नहीं थे, वे कांग्रेस के थे। लेकिन देश के लिए जिये, देश को कुछ देकर गए। आज हम गर्व करते हैं, दुनिया का सबसे बड़ा statue बनाकर के हमें संतोष हो रहा है, ये नाम तक लेने को तैयार नहीं हैं।

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