(शंकरलाल चावड़ा)
श्रमण संघीय महामंत्री पूज्य गुरूदेव श्री सौभाग्यमुनि का फतहनगर के लिए योगदान किसी भी मायने से कमत्तर नहीं आंका जा सकता। गुरूदेव का लगाव अपनी जन्म भूमि आकोला एवं दीक्षा स्थली कड़िया से भी अधिक फतहनगर के लिए रहा है। मेवाड़ संघ शिरोमणी पूज्य गुरूदेव श्री अम्बालालजी म.सा. के फतहनगर में देवलोक होने के बाद जिस तरह से फतहनगर में उनके स्मृति स्थल पावनधाम की स्थापना की गई उसके बाद से सौभाग्यमुनि इसे विकसित करने की योजनाओं को लेकर ही व्यस्त नजर आते। उनका चातुर्मास जहां कहीं भी होता वहां समाज को सुदृढ़ करने एवं स्थानक स्थापित करने का तो उनके मन में रहता ही था लेकिन साथ ही समाज के भामाशाहों को फतहनगर पावनधाम के विकास के लिए प्रेरित करने में भी वे पीछे नहीं रहे। मेवाड़ संघ शिरोमणी पूज्य गुरूदेव श्री अम्बालालजी म.सा. का देवलोक गमन विक्रम संवत् 2050 पौष शुक्ला चतुर्थी को हुआ था। प्रारंभ में विकास की योजनाओं को उतनी गति नहीं मिल सकी लेकिन जैसे-जैसे सौभाग्यमुनि का विहार देश के विभिन्न स्थानों पर होता गया यहां विकास की योजनाएं मूर्त रूप लेने लगी। सौभाग्यमुनि ने जब-जब भी आस पास चातुर्मास किए उनका ध्यान पावनधाम पर ही रहा तथा अधिक से अधिक फंड जुटाने में उन्होने कोई कसर बाकी नहीं रखी। देशभर में पावनधाम की ख्याति सौभाग्यमुनि के अथक प्रयास का ही परिणाम है। विकास की बड़ी योजनाओं के लिए सौभाग्यमुनि ने जब-जब भी मूर्त रूप देने का प्रयास किया उसके सार्थक परिणाम ही देखने को मिले हैं। अम्बेश मुनि का प्रति वर्ष मनाया जाने वाला स्मृति दिवस इस कार्य में मील का पत्थर साबित हुआ। इस अवसर पर हजारों भक्तों को पावनधाम में एकत्र करने का काम कोई मामूली बात नहीं थी। पहले अम्बेश मुनि के जन्म स्थल थामला से और बाद में गांव-गांव से पैदल यात्राएं पावनधाम तक आयोजित कर कार्यक्रम को भव्यता ही प्रदान नहीं की अपितु गुरूदेव की ख्याति में उन्होने चार चांद लगाने का काम किया। कार्यक्रम के जरिए भामाशाहों से मिलने वाला सहयोग पावनधाम की प्रगति को निरन्तर ऊंचाईयों पर पहुंचाता रहा है।
सौभाग्यमुनि धर्म ध्यान के अलावा श्रेष्ठ कलमकार एवं योजना बनाने में भी अग्रणी रहे। पावनधाम के विकास की योजनाएं इसका जीता जागता प्रमाण है। अम्बेश मुनि के स्मृति स्थल पर विशाल गुम्बद का निर्माण करवाने के अलावा मगनमुनि प्रवचन हाॅल, साधना सदन,सौभाग्य शिशु सेवा केन्द्र,गुरू अम्बेश चित्रशाला,विशाल प्रवेश द्वार,यज्ञराज वल्लव का स्थान,इन्द्रमुनि की निर्वाण स्थली पर छतरी निर्माण बरबस लोगों को अपनी ओर आकृष्ठ करते हैं। पावनधाम के पास ही सौभाग्यमुनि की प्रेरणा से ही इन दिनों विशाल गुरू अम्बेश सौभाग्य मदन सभागार का निर्माण चल रहा है। फतहनगर में विशाल सभागार की कड़ी में यह पहला निर्माण है। गुरू अम्बेश के दरबार में इतना कुछ करने के बाद भी उनके मन में और भी विकास की योजनाएं उमड़ रही थी लेकिन अपने प्रतिकूल स्वास्थ्य के चलते वे मूर्त रूप नहीं ले पाई। जब-जब भी गुरू अम्बेश का नाम लिया जाएगा, सौभाग्यमुनि को भी याद किया जाएगा। देश ने एक संत को खोया है लेकिन फतहनगर ने अमूल्य संत रत्न खोया है। यहां के जैन समाज ही नहीं अपितु सर्व समाज ने भी सौभाग्यमुनि के देवलोक गमन पर शोक व्यक्त किया है।
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