उदयपुर। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय के नवीकरणीय ऊर्जा अभियांत्रिकी विभाग मे सांस्थानिक विकास योजना (आई.डी.पी.) के तहत कौशल एवं उद्यमिता विकास के उद्देश्य से कृषि अवशेष से बायोचार के उत्पादन पर छ: दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन शनिवार को हुआ।
प्रशिक्षण कार्यक्रम मे 50 प्रतिभागियो ने भाग लिया। प्रशिक्षण कार्यक्रम डॉ. एस. के. शर्मा (निदेशक अनुसंधान), डॉ. पी. के. सिंह (अधिष्ठाता, सीटीएई) एवं डॉ. महेश कोठारी (निदेशक, डीपीएम) की अध्यक्षता मे दिनांक 6 फरवरी 2023 को शुरू हुआ था ।
बायोचार पर हैंड्स ऑन ट्रेनिंग कार्यक्रम का मुख्य उद्धेश्य कृषि अपशिष्ट को खुले मे जलाने के बजाय आधुनिक तकनीकी के माध्यम से मृदा के लिए उत्कृष्ट उर्वरक बनाना है। यदि किसानो द्वारा खेतो मे बायोचार का इस्तेमाल किया जाये तो किसानो की वार्षिक आय मे 20 प्रतिशत तक की बढ़त हो सकती है।
प्रशिक्षण के दौरान डॉ. दीपक शर्मा (रिटायर्ड प्रोफेसर), हर्षा वाकुंडकर (वेज्ञानिक, सीआईएई भोपाल), डॉ. महेंद्र सिंह दुलवात (सहायक आचार्य, जूनागढ़ कृषि विश्वविद्यालय), डॉ. नारायण लाल पँवार (सह आचार्य) ने विभिन्न तरह के कृषि अपशिष्ट को बायोचार मे परिवर्तित करने हेतु विकसित मशीनों के बारे मे एवं उनके द्वारा किए गये अनुसंधान के बारे मे बताया। मगाराम पटेल ने प्रयोगिक रूप से प्रतिभागियो से बायोचार का निर्माण करवा कर प्रयोगशाला मे गुणवत्ता की जांच की विधि के बारे मे बताया। प्रशिक्षण कार्यक्रम के आयोजक सचिव एवं विभागाद्यक्ष डॉ. नारायण लाल पँवार एवं वेज्ञानिक हर्षा वाकुंडकर की अध्यक्षता मे प्रतिभागियो को प्रमाण पत्र वितरित किए गये। समापन कार्यक्रम का संचालन मगाराम पटेल द्वारा किया गया।