फतहनगर। इंटाली के बालाजी गोधाम गौशाला में चल रही भागवत कथा महोत्सव के चैथे दिन रविवार को महाराज अनुज दास ने बताया कि आज के भौतिकतावादी समय में शादी विवाह की अपनी परंपरा भूल कर लकड़ी के तोरण की जगह गणपति की फोटो वाला तोरण काम में लिया जा रहा है जो रिद्धि सिद्धि के दाता रहे हैं, जो विघ्नहर्ता हैं उन्हीं के ऊपर विवाह में तलवार चला कर अपना भला किस प्रकार हो! कन्या का कन्यादान भी माता-पिता के घर नहीं होकर आजकल शादी ब्याह होटल में किया जा रहा है जबकि मां-बाप के घर कन्यादान होता तो उसका अनंत फल प्राप्त होता है! महाराज ने आज के प्रसंग में बताया कि आजकल जो विवाह विच्छेद हो रहे हैं उसकी माताएं ज्यादा जिम्मेदार है ! छोटी-छोटी बात पर अपने बेटी का घर बनाने के बजाय उजड़ने पर तुली हुई रहती हैं! बेटी को शिक्षा दे कि सास ससुर की सेवा करें! छोटी-छोटी बातों पर दखल न दें और बेटियों को धर्म की शिक्षा दें और ग्रहस्थ का पालन करें! जैन धर्म के संस्थापक ऋषभदेव भगवान नारायण के अवतार हैं और इंद्र ने अपनी पुत्री का विवाह ऋषभदेव से कराया ! बाद में ऋषभदेव जंगल में चले गए और तपस्या करने लगे! वहां आज जैन समाज का बड़ा तीर्थ स्थल बन गया है! महाराज ने कहा कि भगवान कण -कण में विद्यमान है ! ध्रुव ने मात्र 6 वर्ष की उम्र में भगवान को प्राप्त कर लिया! मन से भगवान को पाने का भाव होना चाहिए ! भगवान का नाम दसों दिशाओं में कल्याणकारी हैं! हिरणाकश्यप के उद्धार के लिए उनकी पत्नी कयादू ने प्रयत्न कर भगवान के नाम का बारंबार उच्चारण करवाया! भगवान अपने भक्त की रक्षा किस प्रकार करते हैं ! भक्त प्रहलाद को कितनी यातनाएं दी मगर बचाने वाला मारने वाले से बड़ा होता है और भगवान को नरसिंह अवतार लेना पड़ा ! कथा के दौरान ही भगवान श्री कृष्ण के जन्म के समय पूरा पंडाल मंत्र मुग्ध हो लोग नाचने लगे ! कृष्ण जन्म के समय मिठाइयां बांटी गई ! कथा का चैथा दिन होने से आसपास गांव के व्यक्ति पहुंच रहे हैं ! कथा श्रवण के लिए पंडाल खचाखच भर गया ! अंत में भामाशाहों का बालाजी गोधाम की ओर से स्वागत सम्मान किया गया जिसमें 211000 भेरुलाल अजमेरा की ओर से, 100000 बद्री लाल पीपाड़ा द्वारा पिताजी ओंकार लाल की स्मृति में, 51000 भरत मीणा सचिव,51000 शिवलाल भेरुलाल पीपाड़ा की ओर से घोषणा की गयी ! कथा के दौरान ही नरसिंह भगवान व हिरण्यकश्यप की झांकी प्रस्तुत की गई!