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(भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य व भाजपा के वरिष्ठतम नेता रहे पूर्व सांसद् भानुकुमार शास्त्री का निधन 24 फरवरी 2018 को हूआ था। आज उनकी द्वितीय पुण्यतिथि के अवसर पर उनके जीवन का एक संस्मरण साझा कर रहा हूॅ। जो स्वयं भानुकुमारजी ने मुझे बताया था। )
22 नवम्बर 1977 की रात्रि में भानुकुमारजी को रेल में जयपुर से दिल्ली जाना था। रेल में उनका आरक्षण था। प्लेटफार्म पर उन्हें अपने साथी सांसद् प्रकाशवीर शास्त्री मिले। प्रकाशवीरजी ने भानुकुमारजी से कहा कि मुझे दिल्ली जाना है। लेकिन रिजर्वेशन नहीं हो पाया, कल लोकसभा में वक्ताओं की सूची में मैरा नाम है। आप अपनी सीट मुझे दे दीजियें। भानुजी ने अपनी सीट प्रकाशवीर जी को दे दी और प्लेटफार्म से बाहर आने लगे। तभी एक परिचित टी.टी.ई. मिल गया। उसने पुछा तो भानुजी ने पूरी बात बताते हुये कहा मुझे दिल्ली जाना था, पर मैने मेरी सीट प्रकाशवीर जी को दे दी है। मैं कल दिल्ली आउंगा। इस पर टी.टी.ई. ने कहा आप आज ही दिल्ली चल सकते है, सीट की व्यवस्था मैं कर दूंगा। भानुजी ने फिर रेल की और रूख किया। रेल में सवार होकर दिल्ली प्रस्थान किया। दुर्याेग से रात्रि में रेल दुर्घटनाग्रस्त हो गई। भानुजी अन्य साधनांे से दिल्ली पहूॅचें। दिल्ली में अपने सांसद् निवास पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओ का जमावडा देखकर भानुजी विचार में पड गये। माहौल गमगीन था, वहां एकत्र लोग विचित्र ढंग से भानुजी को देख रहे थे। भानुजी ने पुछा – आखिर बात क्या है? तब उपस्थित लोगों ने बताया कि रेल दुर्घटना में आपकी मृत्यु का समाचार मिला था। अब भानुजी को समझ आया, रेल दुर्घटना में प्रकाशवीरजी नहीं रहे। उन्होनें लोकसभाध्यक्ष कार्यालय पर फोन करके पूरा वाक्या बताया। सचिव ने बताया कि आपका फोन ठीक समय पर आ गया। ससंद् में आपकी श्रद्धाजंलि की तैयारी हो चुकी थी।
-विजय प्रकाश विप्लवी
पूर्व पार्षद, उदयपुर