जयपुर। माइंस विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया है कि राज्य के भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ और राजसमन्द में कॉपर, गोल्ड, लेड, जिंक व सिल्वर की खोज का कार्य के लिए स्थान चिन्हित किए गए हैं। नेशनल मिनरल एक्सप्लोरेशन ट्रस्ट एनएमईटी के वित्तीय सहयोग से इन क्षेत्रों मेें आरएसएमईटी द्वारा खोज कार्य करवाया जाएगा। उन्होंने बताया कि इसके लिए एनएमईटी को विस्तृत प्रस्ताव भेज दिए गए हैं।
एसीएस माइंस डॉ. सुबोध अग्रवाल बुधवार को सचिवालय में राजस्थान स्टेट मिनरल एक्सप्लोरेशन ट्रस्ट के संचालक मण्डल की बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने बताया कि भीलवाड़ा के देवतलाई में करीब 700 हैक्टेयर में कॉपर एवं गोल्ड, चित्तौड़गढ़ के भागल में करीब 500 हैक्टेयर में कॉपर, भीलवाड़ा के अमरगढ़ में 600 हैक्टेयर में लेड व जिंक,राजसमन्द के करौली मेें 200 हैक्टेयर में कॉपर और राजसमन्द के सिन्देसर में करीब 3500 हैक्टेयर क्षेत्र में सिल्वर, लेड व जिंक के भण्डार का खोज कार्य कर खनन के लए पांच प्लॉट तैयार किए जाएंगे।
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि राज्य में खोज कार्य को गति देने और आधारभूत संरचना विकसित कराने के लिए राजस्थान स्टेट मिनरल एक्सप्लोरेशन ट्रस्ट का सितंबर, 20 में गठन किया गया। उन्होेंंने बताया कि इस कोश से नवाचारों को भी प्रोत्साहन देने के साथ ही विश्वव्दि्यालयों और तकनीकी संस्थाओं के छात्रोें की सर्वेक्षण कार्यों में भी भागीदारी तय की जाएगी ताकि छात्रों को व्यावहारिक अध्ययन का अवसर प्राप्त हो सके। उन्होंने बताया कि आरएसएमईटी को नेशनल एक्सप्लोरेशन एजेन्सी का दर्जा दिलवाने के प्रयास किए जाएंगे ताकि खनिज खोज व खनन कार्य में आरएसएमईटी की विशेषज्ञ संस्था के रुप में राष्ट्रीय पहचान बन सके।
निदेशक माइंस श्री केबी पण्ड्या ने बताया कि आरएसएमईटी के माध्यम से विभागीय प्रयोगशाला व छिद्रेसन विंग को संरचनात्मक साधन उपलब्ध कराए जा रहे है। इससे प्रदेश में खनन खोज कार्य को और अधिक गति दी जा सकेगी।
आरएसएमईटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री एनपी सिंह ने पीपीटी के माध्यम से गतिविधियों व नवाचारों की जानकारी दी।
संचालक मण्डल की बैठक में उप सचिव श्री आरएस मक्कड, श्री आलोक जैन, आईबीएम, आरएसएमएम, जीएसआई के प्रतिनिधियाें व खान व भूविज्ञान विभाग के अतिरिक्त निदेशक स्तर के अधिकारियों नेे हिस्सा लिया।
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