जयपुर, 6 मई। राज्य सरकार के निर्देश पर स्थानीय प्रशासन के प्रभावी क्रियान्वयन से भीलवाड़ा जिले ने कोरोना संक्रमण पर प्रभावी नियंत्रण कर इसकी रोकथाम में सफलता प्राप्त की। कड़ी से कड़ी जोड़ कर किसी आपदा से सामूहिक रुप से लड़ने और विजयश्री वरण करने का यह सुंदर उदाहरण है।
देश में कोरोना वायरस की आहट के साथ ही राज्य सरकार ने इससे निपटने की तैयारी सुनिश्चित करने के लिए कमर कस ली थी। इसी क्रम में मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत, चिकित्सा मंत्री श्री रघु शर्मा, मुख्य सचिव श्री डीबी गुप्ता और चिकित्सा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री रोहित कुमार सिंह सहित अन्य आला अधिकारी पूरे राज्य पर नजर बनाए हुए थे और समय-समय पर आवश्यक निर्देश जारी कर रहे थे। भीलवाड़ा जिला प्रशासन उन निर्देशों का अनुसरण करते हुए आवश्यक कदम उठा रहा था।
राज्य सरकार के निर्देश पर समस्त जिम, सिनेमाघर, मॉल्स, थियेटर,, म्यूजिक पार्क आदि बंद करवाने के साथ ही सार्वजनिक कार्यक्रमों, मेलों आदि पर रोक लगा दी गई थी। सब कुछ ठीक चल रहा था कि 18 मार्च को बांगड़ अस्पताल में कार्यरत एक डॉक्टर द्वारा स्वयं आकर आइसोलेशन वार्ड में भर्ती होना प्रशासन के लिए चिंता का कारण बन गया। अगले दिन डॉक्टर की कोरोना संक्रमण रिपोर्ट पॉजिटिव आते ही प्रदेश स्तर पर सरगर्मियां तेज हो गई। मुख्यमंत्री ने सभी जिला कलक्टर्स को विडियो कांफ्रेंस के माध्यम से आवश्यक निर्देश जारी किए। कांफ्रेंस में जिला कलक्टर श्री राजेंद्र भट्ट ने मुख्यमंत्री और चिकित्सा मंत्री के सामने शहरी सीमा में कफ्र्यू और जिले की सीमा को सील करने की योजना रखी। सरकार की हरी झंडी मिलते ही तुरंत शहर के बाजार बंद करवा कर लोगों को घरों में रहने की हिदायत दी गई और जिले की सम्पूर्ण राजस्व सीमा में सीआरपीसी की धारा 144 लागू कर दी गई। 20 मार्च से शहरी सीमा में निषेधाज्ञा लगाकर शहर एवं जिले की सीमाओं को सील कर दिया गया।
जिले के समस्त प्रवेश मागोर्ं पर 13 चेक पोस्ट स्थापित कर आगमन व निर्गमन बंद कर दिया गया। इसे रूथलेस कन्टेन्मेन्ट नाम दिया गया। सभी गतिविधियों की सूचना के आदान प्रदान के लिए कंट्रोल रुम की स्थापना के साथ ही एक वार रूम भी स्थापित किया गया जहां पर एडीएम सिटी के निर्देशन में सारी गतिविधियों पर नजर रखी जाने लगी। जिला पुलिस अधीक्षक श्री हरेंद्र महावर ने नेतृत्व में पुलिस बल ने निषेधाज्ञा की समूचित पालना करवाने के साथ ही जिले की सीमा पर भी आवाजाही को रोकने में सफलता हासिल की।
शहर व जिले में संक्रमण रोकने की बनी रणनीत
राज्य सरकार से प्राप्त हो रहे लगातार निर्देशों पर अमल करते हुए जिला प्रशासन ने चौतरफा चुनौतियों से निबटने की रणनीति बनाई। कोरोना केंद्र बांगड़ अस्पताल की एक किमी परिधि को जीरो मोबिलिटी एरिया घोषित करने के साथ ही पिछले करीब एक माह के दौरान अस्पताल में इलाज के लिए आए मरीजों की सूची बनाई गई। पड़ौसी जिलों से आए मरीजों व अन्य राज्यों के मरीजों की जानकारी संबंधित जिलाधिकारियों को उपलब्ध करवाकर उनकी स्क्रीनिंग के लिए कहा गया। इसी बीच प्रशासन के निवेदन को राज्य सरकार ने मानते हुए तुरंत प्रभाव से जिले में रोडवेज संचालन बंद करने के आदेश पारित कर दिए। अगले कदम के तौर पर राज्य सरकार से अनुमति प्राप्त कर जिले की सीमा में उद्योगों, फैक्टि्रयों, ईंट- भट्टों आदि के संचालन को प्रतिबंधित कर दिया गया। साथ ही श्रमिक हितों का विशेष ध्यान रखते हुए उन्हे सवैतनिक अवकाश देने, छंटनी नहीं करने तथा कार्य से नहीं हटाने व उनके भोजन की व्यवस्था करने के निर्देश संबंधित उद्योग संचालकों को दिए गए।
सर्वे कर लोगों के स्वास्थ्य को जाना
अस्पताल में इलाज के लिए आए हजारों मरीजों के सम्पर्क में आने वाले लोगों को चिन्हित करना आसान कार्य नहीं था। किंतु राज्य सरकार की प्रभावी मॉनिटरिंग व जिला प्रशासन की दृढ़ इच्छा शक्ति के बल पर इस दिशा में कार्य प्रारम्भ किया गया। चिकित्सा विभाग के कार्मिकों की 300 टीम बनाकर शहर में घर-घर सर्वे प्रारम्भ किया गया। प्रथम चरण में मात्र छह दिन में शहर के 74 हजार घरों के 3 लाख 65 हजार से अधिक सदस्यों का सर्वे कर लिया गया जिसमें 2 हजार 572 लोग सामान्य सर्दी जुकाम से पीड़ित पाए गए जिन्हे अन्य परिजनों से दूर रहने और समस्या बढ़ने पर अस्पताल आने की सलाह दी गई। इस प्रक्रिया की चार चरणों पुनरावृत्ति की गई जिसके तहत सामान्य सर्दी जुकाम से पीड़ित व्यक्तियों पर विशेष ध्यान दिया गया। इसके साथ ही अधिकाधिक संख्या में कोरोना टेस्ट करने पर जोर दिया गया ताकि इसके कम्यूनिटी संक्रमण की संभावना पर रोक लगाई जा सके। इस प्रकार जिला मुख्यालय का शहरी क्षेत्र सख्त निषेधाज्ञा के साथ ही संक्रमण से मुक्त हो सका। उधर ग्रामीण इलाके में व्यापक सर्वे के लिए अतिरिक्त जिला कलक्टर श्री राकेश कुमार के नेतृत्व में जमीनी स्तर की मशीनरी का उपयोग किया गया। ग्राम सचिव, पंचायत सहायक, कृषि पर्यवेक्षक, आंगनबाडी कार्यकर्ता, कम्पाउन्डर, एएनएम, मेल नर्स, स्वच्छताग्रही, एवं शिक्षकों की टीम गठित कर बांगड़ अस्पताल से इलाज करवाकर गए रोगियों एवं ग्रामीणों का पृथक-पृथक डोर टू डोर सर्वे प्रारम्भ किया गया। पहले चरण में 22 से 27 मार्च तक प्रतिदिन 1937 टीमों ने 4 लाख 41 हजार 953 घरों के 22 लाख 22 हजार 752 सदस्यों का सर्व कर लिया।
एक साथ इतने बड़े सर्वे के लिए प्रशासनिक मशीनरी ने दिन-रात एक किया। दिन में जहां सर्वे टीम गांवों में सर्वे करती थी वहीं जिला मुख्यालय पर रात को डाटा कलेक्शन का कार्य किया जाता था जिससे अगली रणनीति तैयार की जा सके। इस सर्वे में 16 हजार 382 लोग सामान्य सर्दी जुकाम से पीड़ित पाए गए जिन्हे होम क्वारन्टीन किया गया। 31 मार्च से 2 अप्रेल तक चले अगले चरण के सर्वे के दौरान इन पीड़ितों की संख्या घटकर 1215 रह गई जिससे काफी राहत मिली।
आवश्यक वस्तुओं की घर-घर सप्लाई की व्यवस्था
घरों में बंद शहरवासियों के लिए रोजमर्रा की वस्तुएं जैसे खाद्य सामग्री, सब्जी, फल, दूध, दवाई आदि घर पर ही पहुचांने की योजना तैयार की। सरस डेयरी के 324 बूथ के माध्यम से शहर के प्रत्येक इलाके में घर-घर दूध पहुचांया गया। उपभोक्ता भंडार की 18 गाड़ियां प्रतिदिन शहर के विभिन्न हिस्सों में राशन सामग्री लेकर उपलब्ध रहती। वार्डवार कुछ दुकानों को मोबाइल पर प्राप्त आर्डर की होम डिलीवरी के लिए अनुमत किया गया।
कृषि उपज मंडी समिति की देखरेख में फल एवं सब्जी की गाड़ियां शहर भर में उपलब्ध रहीं। वंचित एवं गरीब तबके को भूख नहीं सोने देने की मुख्यमंत्री की मंशा के अनुसार नगर परिषद द्वारा सर्वे कर शहर में कच्ची बस्तियों में रहने वाले वंचित लोंगो की सूची तैयार की नगर विकास न्यास के माध्यम से दानादाताओं के सहयोग से दस दिन की कच्ची राशन सामग्री प्रत्येक वंचित परिवार को प्रदान की गई और अगले दस दिन बाद फिर से इतनी ही सामग्री उपलब्ध करवाई गई। इसके साथ ही स्वयसेवी संस्थानों द्वारा सहयोग के लिए आगे आने पर रसद विभाग के निर्देशन में लोंगो को तैयार भोजन के पैकेट उपलब्ध कराने का बीड़ी उठाया गया जिनके पास रहने का घर नहीं है और जो कच्ची सामग्री से खाना बनाकर खान में असमर्थ थे। दोनों समय ताजा बना खाने के पैकेट इन लोगों को उपलब्ध करवाए गए ताकि निषेधाज्ञा के दौरान कोई भूखा नहीं सोये।
कोरोना योद्धाओं के सहयोग से मिली सफलता
ग्रामीण क्षेत्रों में होम क्वारन्टीन किये गए व्यक्तियों पर नजर रखने के लिए ग्राम व पंचायत स्तर पर तीन-तीन जिम्मेदार लोग चिन्हित किए गये जो कोरोना फाइटर्स के नाम से जाने गए। होम क्वारन्टीन लोग अपने घर में ही रहें और अन्य लोग उनसे मिलने नहीं जायें, यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी इन कोरोना फाइटर्स को दी गई। उपखंड स्तर पर जिम्मेदार अधिकारियों को कोरोना केप्टन नाम दिया गया। इस प्रकार ग्राम स्तर से सूचना पंचायत स्तर, उपखंड स्तर तक होती हुई जिला स्तर तक शीघ्रता से पहुंचने लगी जिससे त्वरित निर्णय लेने में सफलता मिली। वर्तमान में अन्य राज्यों से आने वाले प्रवासियों का होम क्वारन्टीन सुनिश्चित करने में भी इन कोरोना फायटर्स का महत्वपूर्ण योगदान मिल रहा है।