जयपुर। भारतीय रेलवे लेखा सेवा की अधिकारी तारिका रॉय और भारतीय विदेश सेवा की अधिकारी सौम्या गुप्ता द्वारा संयुक्त रूप से लिखी गई पुस्तक ‘Mad(e) in India’ पर आईएएस लिटरेरी सोसायटी राजस्थान द्वारा वर्चुअल इंटरेक्शन सेशन के माध्यम से चर्चा की गई। कार्यक्रम का संचालन आईएएस श्रीमती मुग्धा सिन्हा ने किया। तारिका रॉय और सौम्या गुप्ता की यह पहली किताब है।
तारिका रॉय ने अपनी किताब पर चर्चा करते हुए बताया कि यह पुस्तक हमारे देश भारत और भारतीयों की आदतों, रहन-सहन, आचार-व्यवहार और यहां की संस्कृति और परंपराओं के मजेदार पहलुओं की खोज है। उन्होंने कहा कि हर भारतीय इस किताब से खुद को जोड़ सकता है। यह पुस्तक बताती है कि हम एक व्यक्ति और एक राष्ट्र के रूप में कौन हैं, हमारी विचित्रता, अंधविश्वास, असंख्य देवी-देवता और पवित्र पुरुष, हमारे भीड़-भाड़ वाले शहर और सड़कें, फिल्मी सितारों और फिल्मी शैली के साथ हमारा जुनून, बड़ी और छोटी सभी समस्याओं को हल करने के हमारे जुगाड़ू तरीके, हमारे विविध व्यंजन, सांस्कृतिक परंपराएं और कला रूप और विविधता में एकता जो हमारे सतही मतभेदों को पाटती है। उन्होंने बताया कि पुस्तक के एक अध्याय में भारतीय रेल के साथ जुड़े अनुभव और भावनाएं पाठकों की बहुत सी यादें ताजा कर देंगे।
सौम्या गुप्ता ने बताया कि यह किताब हमारे देश से बाहर रहने वाले लोगों को भी रोचक, अनूठे और विशिष्ट भारत की तस्वीर दिखाएगी। इस किताब में पाठकों को ट्रकों के पीछे लिखी इबारतों से लेकर लोगों के मुंह पर रहने वाले तकिया कलामों के मजेदार रूप पढ़ने को मिलेंगे। साथ ही पैरेंटल कंट्रोल और हाईवे स्पेशल ढाबों की दुनिया के मजेदार किस्से भी। उन्होंने कहा कि हमने इस देश की विशेषताओं और अनोखेपन को एक नए तरीके से पाठक के सामने रखने का प्रयास किया है।
श्रीमती मुग्धा सिन्हा ने किताब के विभिन्न पक्षों और संदर्भों पर लेखकों के साथ चर्चा की। उन्होंने बताया कि मेड इन इंडिया पुस्तक में लेखकों ने भारतीयता के विचार को रोचक अंदाज में बड़ी कुशलता से पाठकों के सामने रखा है। भारत की विविधता और जटिलता को बहुत ही सहज भाव में मजेदार और बेहतरीन तरीके से प्रस्तुत किया है। संवादात्मक शैली में लिखी गई, हास्य और अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण और भारतीय वाक्यांशों की एक समृद्ध विविधता के साथ, यह पुस्तक एक मनोरंजक और हल्के-फुल्के ढंग से पढ़ी जाने वाली पुस्तक है, जो पाठकों को हंसाती है गुदगुदा आती है और मन को छू जाती है।
सैशन के अंत में लेखकों ने श्रोताओं के सवालों के जवाब भी दिए।