(नवरतन जैन ) |
गत सात सालों में आकोला की दो विभूतियों को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित होने का गौरव हासिल हुआ | एक राष्ट्रपति तो दुसरे प्रधानमंत्री के हाथों सम्मानित हुए।
हथकरघा आधारित पारंपरिक व आधुनिक रंगाई छपाई के लिए प्रसिद्ध चित्तौड़गढ़ जिले के आकोला के लिए गत सात साल में दो ऐसे अवसर आए जब यहां की दो विभूतियों को अपने अपने क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित होने का गौरव हासिल हुआ था। इनमें देश के जाने-माने प्रसिद्ध इतिहासकार व शिक्षक डॉ श्रीकृष्ण जुगनू एवं हस्तशिल्पी सुरेश छीपा शामिल हैं। आकोला के रहने वाले और अब उदयपुर रह रहे डॉ श्रीकृष्ण जुगनू पैसे से सरकारी अध्यापक है।सन2014 में शिक्षक दिवस पर तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित राष्ट्रीय स्तर के गरिमामय समारोह में डॉ श्रीकृष्ण जुगनू को अन्य शिक्षकों के साथ सम्मानित किया था। इस अवसर पर तत्कालीन मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी भी उपस्थित थीं। उल्लेखनीय है कि डॉ जुगनू की जन्मस्थली आकोला ही है जिन्होंने दसवीं कक्षा तक शिक्षा यही हासिल की और आगे के मुकाम के लिए उदयपुर चले गए और अब वही निवासरत है। आज डॉ श्रीकृष्ण जुगनू की पहचान देश के जाने-माने इतिहासकार के रूप में होती है उन्हें कई अन्य पुरस्कार और सम्मान हासिल हो चुके हैं। डॉ जुगनू कवि भी हैं तथा उन्होंने कई पुस्तकें भी लिखी है। मेवाड़ के प्राचीन इतिहास और संस्कृति के साथ साथ एतिहासिक धरोहरों और मंदिरों पर खूब लिखा है वे प्राचीन शिलालेखो को पढ़ने व अनुवाद भी बेखूबी करते हैं। अपने विभिन्न शोधों पर जुगनू कई उपाधियां भी हासिल कर चुके हैं। देश के इतिहासकारों के एक दल के साथ कुछ वर्ष पहले कंबोडिया की यात्रा पर गए थे और वहां के अति प्राचीन भव्य मंदिरों का भ्रमण कर शोध किया था। डॉ श्रीकृष्ण जुगनू के उदयपुर आवास पर बहुमूल्य पुस्तकों का भंडार मौजूद हैं जो उनकी बेशकीमती धरोहर है। इस महान इतिहासविद पर जितना लिखा जाए कम है। इस पोस्ट का मकसद आकोला की नई पीढ़ी को यहां के सपूत डॉ श्रीकृष्ण जुगनू की प्रतिभा से रुबरु कराना है जो उन्हें संभवत नही पहचानती है। आज भी डॉ श्रीकृष्ण जुगनू का लगाव ज्यों का त्यों बना हुआ है हालांकि अब उनका यहां आना-जाना तो होता है पर बहुत कम।
आकोला की पहचान यहां की पारंपरिक हथकरघा आधारित रंगाई छपाई उद्योग से होती है। इस रंगाई छपाई उद्योग में बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिल रहा है। कई सालों से आधुनिक फैशन के अनुरूप भी यहां बेहतरीन रंगाई छपाई हो रही है जो विश्व प्रसिद्ध हो चुकी है। इसी उधोग से सालों से जुड़े हस्तशिल्पी सुरेश छीपा को वर्ष 2018 में चैनई में आयोजित किए गए हस्तकला आधारित राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें उत्कृष्ट रंगाई छपाई के लिए सम्मानित किया था। उल्लेखनीय है कि हस्तशिल्पी सुरेश छीपा पहले भी अनेक बार राजस्थान के तब के मुख्यमंत्रियों से राज्य स्तरीय पुरस्कार से सम्मानित हो चुके है तथा उनके बड़े भाई हस्तशिल्पी भैरुलाल छीपा भी अनेक बार सम्मानित हो चुके है तथा उन्होंने विदेश में भी अपनी बेहतरीन रंगाई छपाई उत्पाद का प्रर्दशन कर चुके हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि इन दोनों विभूतियों ने अपने अपने क्षैत्र में राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के हाथों सम्मानित होकर आकोला को तो गौरवान्वित किया ही है साथ ही यहां की नई पीढ़ी के लिए भी ये प्रेरणा स्रोत होगे। इस खबर में जो फोटो है वह फाइल फोटो है।