फतहनगर। लदानी में करीब डेढ़ दशक के बाद बुधवार को गवरी नृत्य का आयोजन किया गया। इस आयोजन को देखने गांव सहित आस पास के इलाकों से बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। ग्रामीणों ने बताया कि वैसे तो अन्य गाँवों की गवरी नृत्य लदानी में होते रहे हैं लेकिन इस बार लदानी गाँव की गवरी हो इसकी सभी की प्रबल इच्छा थी। इसी को लेकर इस बार अच्छी तैयारी से गवरी का आयोजन किया गया। लदानी गाँव के सभी देवी देवताओं से आशीर्वाद लेने के पश्चात ही गवरी नृत्य का शुभारंभ किया गया। लदानी गोस्वामी परिवार के द्वारा मठ से गवरी हेतु परंपरा अनुसार भगवा दिया गया। लदानी के सभी प्रमुख धार्मिक स्थलों,मंदिरों के परिसर में गवरी नृत्य किया जा रहा है। गाँव के प्रमुख स्थलों, अन्य गाँवों में भी मांग व आग्रह के आधार पर गवरी नृत्य किया जाता है। लदानी गाँव की बहन बेटियों के ससुराल में बुलावे के आधार पर गवरी नृत्य किया जावेगा। आज लदानी श्री चारभुजा मंदिर परिसर में गवरी का मंचन किया गया। बड़े ही उत्साह के साथ गवरी देखते हुए लोगों को देखा गया। सवा महिने तक चलने वाले गवरी नृत्य में कलाकार सभी भील समाज के हैं। परंपरागत तरीके से चलते आ रहे रिवाज के अनुसार परिवार अपने-अपने पुर्वजो द्वारा जो गवरी नृत्य में जिम्मेदारी तय थी खेल बनकर खेलते थे उसी अनुरूप आज भी उसी परिवार के सदस्य को प्राथमिकता दी जाती है। सभी पुरूष लोग ही विभिन्न प्रकार के परिधान धारण कर अलग-अलग देवताओं का प्रतिनिधित्व करते हुए प्रदर्शन करते है। सवा महिने तक उपवास रखना, नंगे पैर रहना, समस्त प्रकार के नशा से दूर रहना, चारपाई पर नहीं सोना, ब्रह्मचर्य का पालन करना, स्वयं के घर पर नहीं जाना आदि का पालन करते हैं।
(खबर स्त्रोतः श्री चुन्नीलाल अहीर)
फतहनगर - सनवाड