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वल्लभनगर चार्तुमासः संतों के व्याख्यान हुए प्रारंभ

वल्लभनगर। मेवाड़ उपप्रवर्तक कोमल मुनि जी महाराज साहब एवं नव दीक्षित हर्षित मुनि जी महाराज साहब का चातुर्मास व्याख्यान प्रारंभ हो गया। संतों के सानिध्य में सभी श्रावक- श्राविका चार्तुमास मे विशेष धर्म आराधना कर रहे है।
प्रातः 9बजे प्रवचन में हर्षितमुनि जी ने श्री सुख विपाक सूत्र का वाचन करते हुए फरमाया कि. राजगृह नगरी में भगवान सुधर्मा स्वामी जंबू स्वामी को फरमाते हैं हस्तीशीष नाम के नगर मे अदिनशत्रु नामक राजा एवं धारणी माता राज करते थे उनका सुबाहुकुमार का पुत्र हुआ,जो अत्यंत सुंदर एवं आकर्षक था, उस नगर मे पुष्प करंडक नाम का उद्यान था जहाँ प्रभु महावीर पधारे थे। सुबाहु कुमार प्रभु की वाणी सुनने आए, सुन कर
भगवान से कहा से बनते हैं हे बनती है मुझे आपके वचन पर पूर्ण श्रद्धा है, मुझ में इतना सामर्थ्य नहीं है कि मैं दीक्षा ले सकूं। मै 12 व्रत लेकर श्रावक धर्म की पालना करना चाहता हूं। हमें आज के प्रवचन से यह शिक्षा लेनी है कि हमें गुरु वाणी पर,जिन वचन पर पूर्ण श्रद्धा एवं विश्वास रखना चाहिए एवं सुबाहु कुमार की तरह श्रावक धर्म अंगीकार करना चाहिए।
हमारा जीवन भी सुबाहु कुमार की तरह सिद्ध ,बुद्ध और मुक्त बने इसी शुभ भाव के साथ…….

मेवाड़ उपप्रवर्तक कोमल मुनि जी ने फरमाया.कि हमें विचार करना चाहिए कि हम कौन है, कहां से आए हैं, क्या हमारा लक्ष्य है, हमने आज तक कभी नहीं चिंतन नहीं किया हमें बनना क्या है, जीवन का एक एक पल हमारा प्रमाद मे बीत रहा है, हम धर्म से विमुख होते जा रहे है।
प्रार्थना के समय हम हमारे शरीर के काम मे लगे रहते है पर प्रभु का ध्यान करने मे हमें समय नहीं मिलता है
आज तक इस शरीर के लिए बहुत कुछ हमने किया, पर इस चातुर्मास में
आत्मा के लिए बहुत कुछ करना है
गुरुदेव ने चंदन राजा और मलियागिरी रानी का वर्णन सुनाया….

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