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कांग्रेस के वर्षों तक कर्मठ सिपाही रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया का भाजपा में जाना अचानक ही नहीं हुआ। इसके पीछे कई कारण भी रहे। अपनी निरन्तर उपेक्षा ने आखिरकार सिंधिया को भाजपा में जाने के लिए मजबूर कर दिया। युवा नेवृत्व के रूप में राष्ट्रीय परिदृश्य पर कांग्रेस में सिंधिया ही एक मात्र चेहरा थे जो राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए फिट बैठ रहे थे। कहीं न कहीं पार्टी की पुरानी लाइन को सिंधिया से खतरा दिख रहा था जिससे सिंधिया को उपेक्षित रखा। जानकार मानते हैं कि सिंधिया कांग्रेस में कद्दावर नेता थे तथा राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर प्रमुख नाम था। यदि पार्टी गांधी परिवार के इर्द गिर्द न रहती तथा सिंधिया को मौका दिया जाता तो निश्चित ही कांग्रेस के लिए यह संजीवनी साबित होता। मौके की नजाकत को भाजपा ने भांप लिया तथा इस मौके को भाजपा ने भुनाने में कोई कमी नहीं रखी। सिंधिया के भाजपा में आने के बाद मध्यप्रदेश में भाजपा को मजबूती मिलेगी वहीं केन्द्र में भी सिंधिया के अनुभव का लाभ मिलेगा। सिंधिया के समर्थक ही नहीं भाजपा के कार्यकर्ता भी सिंधिया का पूरे मन से पार्टी में स्वागत कर रहे हैं। इसकी झलक आज भोपाल में सिंधिया के रोड़ शो के दौरान भी देखने को मिली। भोपाल में भाजपा कार्यकर्ताओं के स्वागत से सिंधिया अभिभूत दिखे तथा कार्यकर्ताओं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर पार्टी को सींचने का प्रण किया। सिंधिया के भाजपा में जाने के बाद चाहे कांग्रेस में उनके ही साथी उन्हें कोस रहे हों लेकिन सिंधिया का भाजपा में जाना उनके लिए आगे के रास्ते खोल रहा है। यों भी भाजपा में परिवारवाद जैसा कुछ भी नहीं है। ऐसे में सिंधिया अपनी योग्यता के दम पर आगे बढ़ने का माद्दा रखते हैं।
(राहुल चावड़ा)