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फतहनगर - सनवाड

सनवाड़ में निकली बादशाह की सवारी, उमड़े सैंकड़ो नर-नारी

फतहनगर। सोमवार को शीतला अष्ठमी के अवसर पर रियासतकालीन परम्परा को याद दिलाने वाली बादशाह की सवारी का सनवाड़ में आयोजन किया गया। प्रति वर्ष शीतला सप्तमी के अवसर पर बादशाह की सवारी निकाली जाती है। दिनभर होली खेलने के बाद शाम को बादशाह की सवारी का आयोजन किया गया। सदर बाजार में बादशाह की सवारी सज्जित की गयी। बग्घी में बादशाह एवं बेगम बने पात्रों को  बिठाया गया तथा बैंडबाजों के साथ बादशाह की सवारी को रवाना किया गया। बग्घी के आगे बादशाह की सेना चल रही थी तथा रास्ते में महाराणा की सेना अलग-अलग सेनापतियों के नेतृत्व में छापामार हमले करती चल रही थी। बादशाह की सेना एवं महाराणा की सेना के बीच रास्ते में कई जगह अच्छी रस्सा कस्सी चली। बादशाह की सवारी रावला चैक होते हुए रावले में प्रवेश कर गयी जहां पर महाराणा की सेना बादशाह कह सेना पर टूट पड़ी तथा बादशाह की दाढ़ी नोंच ली गयी। बादशाह को कैद कर लिया गया। इस खुशी में नगरवासियों ने गैर नृत्य किया। इसके अलावा बादशाह की बेगम बने कलाकारों ने भी नृत्य कर मौजूद लोगों का मनोरंजन किया। रावले में लोगों की उपस्थिति इतनी थी कि कार्यक्रम देखने के लिए लोग रावले के गोखड़ों तक पर चढ़ गए। बादशाह की सवारी के इस कार्यक्रम मे पालिका उपाध्यक्ष नीतिन सेठिया,पूर्व पालिकाध्यक्ष राजेश चपलोत,पार्षद मनोहरलाल त्रिपाठी, नरेश जाट,शिवलाल शर्मा,पूर्व पार्षद छोगालाल प्रजापत,गोपाल सोनी आदि जनप्रतिनिधियों के अलावा नगर के कई प्रबुद्धजन एवं सभी समाज के लोग मौजूद थे। बादशाह की सवारी को देखने के लिए सनवाड़ के अलावा फतहनगर एवं आस पास के गांवों से भी बड़ी तादाद में लोग सनवाड़ पहुंचे। बादशाह की सवारी के आयोजन के दौरान पूरे समय पुलिस जाब्ता मौजूद रहा। 

गरिल्ला पद्धति से हुआ रोमांचक मुकाबलाः बादशाह की सेना एवं महाराणा की सेना के मध्य गुरिल्ला पद्धति से जगह-जगह लड़ा गया युद्ध आज बेहद ही रोमांचक था। कई मौके तो ऐसे भी आए कि युद्ध में शामिल युवा चोटिल होते होते बचे। आक्रामक युद्ध होने के बावजूद इसमें शामिल लोगों ने संयम से इस कार्यक्रम का समापन किया। 

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