*कहा – जनस्वास्थ्य से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं, सख्त कार्यवाही जरूरी*
उदयपुर। जिला कलक्टर ताराचंद मीणा ने कहा है कि स्वास्थ्य के प्रति हानिकारक सिलिका डस्ट वाली खदानों, क्रेशर्स, फेक्ट्रियों व अन्य संबंधित क्षेत्रों में कार्य करने वाले श्रमिकों को सिलिकोसिस रोग होने की संभावना रहती है, ऐसे औद्योगिक संस्थानों को श्रमिकों के स्वास्थ्य को देखते हुए इस रोग से बचाव के लिए उचित प्रबंधन बेहद जरूरी है, जो संस्थान सिलिकोसिस रोग से बचाव के लिए प्रबंध न करें उनके विरूद्ध सख्त कार्यवाही जरूरी है।
कलक्टर मीणा ने यह निर्देश सोमवार को कलेक्ट्रेट सभागार में सिलिकोसिस रोग की रोकथाम व बचाव के लिए चर्चा के लिए औद्योगिक संस्थानों के प्रतिनिधियों और संबंधित विभागीय अधिकारियों की एक महत्वपूर्ण बैठक में दिए।
कलक्टर ने विभागीय अधिकारियों से इस रोग से पीडि़त व्यक्तियों से संबंधित उद्योगों के विरुद्ध पिछले 5 सालों में की गई कार्यवाही के बारे पूछा और कहा कि जन स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने श्रमिकों के हित में औद्योगिक संस्थानों को अपने स्तर पर इस रोग के प्रति जागरूकता पैदा करने, समय-समय पर श्रमिकों की स्वास्थ्य जांच करवाने और श्रमिकों को डस्ट मास्क के उपयोग, पत्थर घड़ाई ईकाइयों में अनिवार्य रूप से कटिंग, ग्राईडिंग एवं अन्य कार्यों में वाटर जैट सिस्टम का उपयोग, पत्थर एवं खदानों में वेट ड्रिलिंग मशीन का अनिवार्य उपयोग सहित सिलिकोसिस रोकथाम एवं जागरूकता हेतु आईईसी गतिविधियां करने के निर्देश दिए।
कलक्टर ने इस रोग की रोकथाम के साथ ही पीडि़तों की जांच के लिए जिले में प्रारंभ किए गए 10 स्थानों पर खुशी जताई और कहा कि संभावित रोगियों को ईमित्र के माध्यम से अपना रजिस्ट्रेशन करवाना चाहिए ताकि उन्हें नियमानुसार सहायता प्रदान की जा सके। कलक्टर ने कहा कि जिस रोगी को इस रोग के लक्षण दिखें वे किसी भी ईमित्र से अपना रजिस्ट्रेशन करवाना है, उसके बाद जांच इत्यादि की समस्त प्रक्रियाएं सरकारी तौर पर की जाएंगी।
बैठक में समाजसेवी गोपालकृष्ण शर्मा, अतिरिक्त जिला कलक्टर प्रभा गौतम, जिला उद्योग केन्द्र महाप्रबंधक शैलेन्द्र शर्मा, रीको क्षेत्रीय महाप्रबंधक एसके नैनावटी, सहायक निदेशक मानधाता सिंह, सीएमएचओ डॉ. शंकरलाल बामनिया, खनि अभियंता पिंकराव सिंह सहित कई औद्योगिक संस्थानों के प्रतिनिधियों ने विचार व्यक्त किए।
*सिलिकोसिस टास्क फोर्स बनें:*
कलक्टर मीणा ने सीएमएचओ डॉ. शंकरलाल बामनिया को निर्देश दिए कि प्रभावित क्षेत्रों के श्रमिकों का नियमित हेल्थ चैक अप करवाया जाए और जागरूकता गतिविधियां की जावें। उन्होंने कहा कि प्रभावित क्षेत्रों से संबंधित पीएचसी पर हेल्प डेस्क स्थापित करते हुए सिलिकोसिस टास्क फोर्स बनाई जाए जो नियमित भ्रमण करते हुए सिलिकोसिस रोकथाम के उपाय करें। उन्होंने डीएमएफटी मद से राजस्थान की दूसरी सिलिकोसिस वेन दिए जाने की बात कही और कहा कि पीडि़तों के इलाज के लिए इसका प्रभावी उपयोग किया जाए।
*पीडि़त मिले तो यूनिट के विरूद्ध कार्यवाही हो:*
कलक्टर मीणा ने कहा कि जिले में अब तक सिलिकोसिस रोग से पीडि़त रोगियों की बेक हिस्ट्री जानकर जिस यूनिट से रोगी पीडि़त हुआ, उसके विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही हो। उन्होंने उस यूनिट से क्षतिपूर्ति राशि दिलवाने की कार्यवाही को भी निर्देश दिए। कलक्टर ने इस संबंध में सीएमएचओ को पीडि़त रोगियों की फाईल्स खनि अभियंता को सौंपने और खनि अभियंता को ऐसे संबंधित यूनिट्स की जांच कर विरूद्ध कार्यवाही प्रस्तावित करने के निर्देश दिए।
*डीएफएफटी फंड पर पहला हक खनन प्रभावित क्षेत्रों का:*
बैठक में कलक्टर मीणा को कुछ औद्योगिक संस्थानों के प्रतिनिधियों ने बाबरमाल व अन्य औद्योगिक क्षेत्रों में कई वर्षों से क्षतिग्रस्त सड़कों की पीड़ा बताई तो उन्होंने कहा कि डीएमएफटी फंड पर पहला हक खनन प्रभावित क्षेत्रों का है, ऐसे में इन क्षेत्रों में सड़कों के दुरस्तीकरण और नवनिर्माण के लिए प्रस्ताव खनि अभियंता की तरफ से तत्काल प्रस्तुत किए जावें। उन्होंने खनि अभियंता पिंक राव सिंह को संबंधित खनन और औद्योगिक ऐसोसियेशन के पदाधिकारियों से संपर्क कर इस प्रकार की सड़कों के प्रस्ताव भेजने को कहा।