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खाटू श्याम मन्दिर की हुबहु प्रतिकृति का सजा श्याम दरबार
श्वेत-स्वगिर्णम-रजत आभा लिये अद्भुत ?-अलौहिकक अवर्णनीय
उगते चांद की मधुर चांदनी में प्रारम्भ तथा प्रकटते सूर्य की स्वर्णिम लालीमा में की महाआरती
हजारों भकतों ने पदराई अखण्ड ज्योत आहूतियॉ- इत्र-गुलाब श्याम रस की हुई होली
सांवरीया थारा खूब सजो श्रंगार म्हारा सांवरीया सरकार फेरू माथे लूण राई …..
कीर्तन की हैरूत बाबा आज आज थाणे आणो है ………….
उदयपुर। आज दुल्हन की तरह सजे-संवरे टाऊन हॉल प्रांगण में उपस्थित हजारों श्याम भक्तों का जोश-परवान पर था। दिव्य सुगंधित पदार्थो-इत्र-घृत-खोपरा-शाही पान-छप्पन भोग- ताजा फल-फ्रूट-खुखे मेवा की स्वः प्रगज्वलीत अखण्ड ज्योत में पदरायी जा रही अहूतीयों से कई मीलो तक वातावरण सुगन्धित-दीव्य अलौकीक- बन पड़ रहा था। हर सेकंड यज्ञ-कूण्ड में अविरल-अवीराम-उपस्थित हजारों भक्तों द्वारा बारी बारी से पंक्तिबद्ध हो आहूतीयों से होम किया गया। श्याम रीत अनुसार सर्व प्रथम ट्रस्टीगण द्वारा सपत्नी इस रस्म की अदायगी की गयी। तत्पश्चात् संध्या का शुभारम्ी नई दिल्ली के गायक-संयोजक-सूत्रधार महावीर अग्रवाल वासू द्वारा मारो लाड़लो गणेश प्यारो प्यारो …….. जयश्री राम हरे, बाबा जयश्री श्याम हरे खाटूधाम विराजत अनुपम् रूप धरे दुख भंजन
मारूती नन्दन ….. तथा श्याम आरती व आरती किजे हनुमान लला की से प्रभु की स्तुती-वन्दना महाआरती से की। मंच संचालन के साथ साथ प्रारम्भ से भोर तक महावीर अग्रवाल ने अनेक भजन की प्रस्तुत किये।
श्याम भक्त नारायण अग्रवाल के अनुसार श्याम रीत अनुसार पूरे प्रांगण के श्याम दरबार के श्याम मन्दिर को गोमुत्र-गंगाजल-स्थानीय झीलों के पवित्र जल तथा खाटू धाम श्याम गंगाजल से छीड़काव कर पवित्र किया गया। राज्य में प्रथम बार भक्तो को खाटू धाम की स्मृति अमिट करने हेतु यहां हूबहू खाटू नगर के श्याम मन्दिर की प्रतीकृत बनायी गयी। विशल एवं भव्य बहू मंजिले मन्दिर के प्रथम तल पर अखण्ड ज्योत दरीबार- उसके उपर की मंजील पर छप्पन भोग-ताजा फल फ्रुट- एक हजार शाहीपान के बीडत्रे सभी प्रकार के सुखा मेवा, श्रीफल का भोग धराया गया।
उपर की मंजील पर खाटूधाम मन्दिर की तरह स्वर्ण द्वार-रजत द्वार से सज्जित गर्भ-गृह मन्दिर में प्रथम बार खाटू नगर नरेश ्रपभु श्री श्याम (बीना बाधा रूपी वसा के सीधे ही) नीज मन्दिर की तरह कोलकता से मंगाये ताजा देशी विदेशी आर्केड़ एवं अन्य पुष्पों के श्रृंगार के मध्य वीराजमान हुए। युवा शिल्पी नलीन कसेरा द्वारा नजफगढ़ से पधारे श्याम प्रभु के शीश का नवनिर्मित स्वर्ण मुकुट-स्वर्णाभुषणों-कण्ठा-हीरे मोती माणीक्य-जवाहरात से अद्भुत-अवर्णनीय अनोखा नयनाभीराम श्रृंगार किया गया। यहां का पूरा नजारा अलौकीक-परलौकीक प्रतीत होता था। जो भी दरीबार में हाजरी लगाता अपलक-जड़वत हो प्रभु की छवी को अंगीकार करने, हृदय की गहराईयों में समा
लेने-पलकों में केद कर लेने हेतु तत्पर हो जाता और व्यवस्थापक ट्रस्टी भी उन्हें पूरी तल्लीनता से जीभर कर अपने प्रभु के दर्शन करने, अपनी अरदास पूरी करने हेतु भरपूर समय एवं सहयोग देते। भोर तक यह क्रम चलता रहा।
खाटू श्याम मन्दिर की तरह यहां भी मन्दिर में स्थित बांके बिहारी जी गणेश जी एवं सालासर हनुमान मन्दिर तथा नगाड़ा कक्ष की एवं बरामदे की हूबहू प्रतिकृती सजायी संवांरी श्रंगारित की गयी। जिसने भी पूर्व में खाटू नरेश की यात्रा की से लगा कि वो साक्षात खाटू नगर मन्दिर के दरबार में उपस्थित है। उन्होने प्रभु से रूबरू हो अपने दिल के अरमान वहां यात्रा ले जाने की इच्छा जताई। इस भजन संध्या ने भ््राक्ती का नया इतिहास बना दिया।
संध्या के प्रारम्भ में नजफगढ़ दिल्ली के युवा गायक बन्दू भैया ने अपनी मधुर वाणी से खाटू को श्याम रंगीलो है खाटू को …… ओ मस्त नजर वाले तेरी याद सतीती है …… मेरी श्याम धणी की जिस घर में ज्योत जलाई जाती है …… से प्रारम्ी कर अनेक रचनाये प्रस्तुत कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
बन्दू भैया की धमाल की भजन गायकी- संगीत कार शीवम् की आतीशी संगीत वाद्ययांगे की अगुवाई व नाजीन बंसल की कप्तानी में पच्चासो श्याम बाल गायक कलाकार मण्डल के सदस्यों की मार्चमास्ट करते नीशान यात्रा ने अचानक प्रकट हो आधे घन्टे से भी अधिक भक्तों को रोमांचित-अचम्भित विस्रीत एवं भाव-विभोर कर दिया। ये सभी नीशान एवं ध्वजपताकाएं अगली ग्यारस पर खाटूधाम मन्दिर में अर्पित की जायेगी।
धमाल के बाद श्री गुरू चनाश्रित ब्रज रसीद मदना पागल ने श्रीधाम वृन्दावन के अपने अनोखे अंदाज सुरों एवं स्वरों की जादूई प्रस्तुती देते हुये भक्तों की पागलपन की हर तक झूमने-नाचने-लहराने हाथ उठा ताली बजाने पर विवश कर दिया। उन्होने मोहे लागी लगन गुरू चरनन् की ……. श्ररीधाम वृंदावन है पीते है पीते है पीते है……….. कीशोरी जी तो मीरी है ……….. के साथ अनेको भजनो की लड़ी लगा वन्स मोर के गुहार लगवायी।
युवा गायको में देश के प्रख्यात नाम गायक सोनीपत पंजाब के मयंक अग्रवाल अपनी मारवाडत्री राजस्थानी पंजाबी मिश्रीत मस्ती भरी स्वरों की खन खनाहट से मेरा श्याम आ जाता मेरे सामने, ………… प्रेम तुम्हारा हमको खाअू खींच लाता है ……………… सांवरीया थारा खूब सजो श्रृंगार म्हारा सांवरीया सरकार फेरू माथे लूण राई थारी लेउ नजर उतार कोई जादू कर देवेगी कोई टोनो कर देवेगी बचवकर रहीयो सरकार ……………. हनुमानगढ़ के युवा हदय मास्टर देव चुघ ने आ गया लो मेला मेरे श्याम का …………….. हम हारे हारे हारे तुम हारे के अहारे ………………. जो मागोगे मिलेगा अर्जी लगा के देखो ….. जैसी अनेक शानदार भजनो की लड़ी लगा बाल अवस्था हर उम्र के भक्तो को भक्ती की सरीता में गोते लगाने को आतूर बेचेन कर दिया।
नजफगढ़ छोटा खाटू धाम मन्दिर से पधारी भक्त शिरोमणी उषा बाई जी अपने गुरू उमानन्द जी संघ मंच पर श्याम दरबार एवं भक्तो के बीच प्रकट हो उन्ह पर अपनी विश्व विख्यात श्याम भोर छड़ी लहरा- आशीर्वाद- एवं शुभ कामनाएं प्रदान की। भक्तो की कष्ट एवं समस्याओं के निराकरण हेतु अनेक उपाय, प्रयोग एवं समाधान सुझाये।
इससे पूर्व आज प्रातः खाटू नरेश के इनके दिल्ली से विमान तल (एयरपोर्ट) पर आगमन पर अनेक श्याम भक्त काफीले के तौर पर अगवानी स्वागत सत्कार हेतु उपस्थित थे, काफीले के रूप में आपको बंसल परिवार के स्नेह सदन लाया गया। यहां पर प्रभु श्याम के शीश का अस्थायी तौर पर दिल्ली के राजकुमार अग्रवाल द्वारा श्रृंगारित कर अखण्ड ज्योत एवं श्याम रीत नुसार सभी नेकचार किया गया- सुनील-स्नेहलता, मीमायां आस्था नलीन बंसल परिवार द्वारा बाबा को खीर-चूरमा-केसर दूध फलफ्रुट छप्पन भोग पदराया गया। उषा बहीन जी एवं गुरू जी उमानन्द ने सभी श्याम नेकचार कर उपस्थित सैंकड़ो श्याम भक्तो कां चौकी पर मोरछडत्री का आशीर्वाद एवं प्रसाद प्रभावना से सरोकार किया। बाबा के स्वागत हेतु गुरूजी गायक व उमानन्द बन्टी भैया-स्थानीय बाल भजन गायक इतिशा गोयल- राकी गोयल-सुनन्दा चौबीसा साक्षी अग्रवाल आस्था बंसल- नलीन बंसल-अर्थव गोयल मीमांसा बंसल ने 2 घन्टे तक अनेक भजनों की लडत्री लगा दी। सायं छः बजे बाबा के शीष को ढोल नगाड़े मंत्रोचार के बीच सुनील-स्नेह सदन से टाउन हॉल खाटू दरबार स्थापित किया गया।
ळाजन गायको की संगत करने के लिये दिल्ली से विश्व विख्यात श्याम बेन्ड विश्वम् इन्टरनेशध्नल म्युजीकल ग्रुप के युवा संगीतकार शीवम् भाई एवं अपने 15 से भी अधिक म्यूजीसन एवं अतयाधुनिक बाद्ययंत्रों के साथ पूरी भजन संध्या को 14 यचांद लगा रहे थे। संगीत के बीना सुर अधूरे होते है। संगीत सही हो तो स्वर भी निखर जाते है इसे चरितार्थ किया इस टीम ने।
इस अवसर पर ट्रस्ट के अध्यक्ष के.के. गुप्ता ट्रस्टी श्यामसुन्दर गोयल, डी.के. खेड़ा, सुनील बंसल, राजेश गोयल, शुभम गर्ग सुरेन्द्र अग्रवाल सुरेश अग्रवाल श्याम भक्त नारायण अग्रवाल कैलाश चन्द्र गर्गद्व श्याम बी गुप्ता, शान्तिलाल मेहता, हेमराज चांगवाल, धरेन्द्र सिंह सच्चान, विजय अग्रवाल के साथ 40 से भी अधिक समितियों के अध्यक्ष बाल मण्डल, महिला समिति के अनेक सदस्यों ने सेवाएं प्रदान की।