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फतहनगर। धरती मंदिर मस्जिद और भगवान से भी बढ़कर है क्योंकि इसी मिट्टी से मंदिर और मस्जिद बने हैं। इसी मिट्टी से महापुरुषों का शरीर बना है। इसी पर खड़े होकर साधना की और ऊंचाइयों के शिखर को छुआ। धरती की उपेक्षा करने वाला धार्मिक तो क्या इंसान कहलाने का अधिकारी नहीं। उक्त विचार राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए तथा कहा कि धरती का नमक हराम उसका कोई मजहब नहीं होता है। वह तो शैतान से कम नहीं है।
उन्होंने कहा कि कुरान में लिखा है मां के चरणों में जन्नत है तो जिस पर मां खड़ी है उससे बड़ा जन्नत है नमक हलाल बनो लेकिन हराम नहीं। धरती के प्रति वफादार होने वाला ही धार्मिकता में प्रवेश कर सकता है। राष्ट्रसंत ने कहा कि धरती की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने के लिए हंसते-हंसते तैयार होता है वही धरती और महापुरुषों का सपूत है।
मुनि कमलेश ने कहा कि हवा पानी और अन्न यहां तक हीरे पन्ने धरती से प्राप्त करते हैं यदि यह साथ ना दे तो हम जीने की कल्पना तक नहीं कर सकते हैं।
जैन संत ने स्पष्ट कहा कि पशु भी जिसका नमक लेता है उसके प्रति वफादारी से जीता है लेकिन इंसान जिस थाली में खाता है उसी में छेद करता है। छेद करने वालों की कोई जाति और धर्म नहीं होता है उसकी उपासना को भगवान कभी स्वीकार नहीं करेगा महासती सुप्रभाजी सुमन प्रभा जी ने विचार व्यक्त किए नव दीक्षित देवांश मुनि जी ने मंगलाचरण किया। रविवार को फतहनगर से आकोला विहार की संभावना है। 9 या 10 जनवरी तक डूंगला पहुंचने की संभावना है।