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फतेहनगर । नगर के मुगदल में चल रही गौ नन्दी कृपा कथा के दूसरे दिन संत गोपालानंद सरस्वती(जगदीश गोपाल महाराज) ने कहा कि गाय माता देवता समान होती है, स्वयं भगवान कृष्ण ने नंगे पांव गाय चराई थीं । जब कन्हैया गाय को पूजते थे तो वो गाय माता जानवर नही वो तो भगवान की भी इष्ट है । संत श्री ने राजा दिलीप की पुत्र प्राप्ति के प्रसंग को बताते हुए कहा कि गौमाता की सेवा के प्रभाव से निसन्तान राजा दिलीप को पुत्र प्राप्ति हुई, उसी कुल से रघुवंश चला । इस अवसर पर गाय चरावा जाऊ म्हारी माँ भजन पर श्रोता गण झूम उठे ।
उन्होंने मनुष्य के जीवन में जन्म से पहले और मृत्यु के बाद भी गाय माता साथ देती है और गाय माता का मानव जीवन के 16 संस्कारों में किस प्रकार महत्व है उन्होंने गर्भधारण संस्कार के लि बताया कि उत्तम पुत्र प्राप्ति के लिए गर्भावस्था में दूध गाय माता का ही उपयोग में लेना चाहिए । वैसे भी गर्भावस्था ने माँ को कैल्शियम, आयरन व जिन पोषक तत्वों की आवश्यकता अधिक होती है । वह सारे पोषक तत्व गाय माता जी के दूध में विद्यमान होते है । गौ दुग्ध एक पूर्ण आहार है । गर्भावस्था में स्त्री सद्शास्त्र पढ़े । उत्तम कथा सत्संग का श्रवण करें । किसी की निंदा नही करे । प्रतिदिन सोने से पूर्व देसी गाय माता के 400 ग्राम दूध में थोड़ी केसर व शहद डालकर पीवे । ऐसा प्रसव तक करती रहें । अगर नौ मास साधारण से लगने वाले इन नियमो का पालन कोई स्त्री करें तो इस कलयुग में भी निश्चित श्रवण कुमार जैसे पुत्र की प्राप्ति होती है ।
संत श्री ने कहा कि नौ माह पुरे होने के बाद प्रसव पीड़ा ( शिशु जन्म के समय माता के पेट में होने वाला दर्द ) शुरू होना तब आप अपनी बहु – बेटी – पत्नी को लेकर चिकित्सालय जाओगे वहां चिकित्सक इंजेक्शन लगाकर औषधि देकर कुछ समय इन्तजार करेगा । अगर समय रहते डिलिवरी हुई तो ठीक और नहीं तो चिकित्सक आपको ऑपरेशन ( सिजिरियन डिलिवरी ) के लिए कहेगा यानि पेट को चीरा लगाकर अप्राकृतिक तरीके से बच्चे को निकलना । ऐसे प्रसव के नुकसान कितने है इसकी मात्र कल्पना ही की जा सकती है । एक तो माता का पेट बिगड़ना । दूसरा हो सकता है कि भविष्य में उस माँ काज़ गर्भधारण की सम्भावना ही समाप्त हो जाए । तीसरा बहुत बड़ी धन राशि का खर्च होना । चौथा उस बच्चे की जन्मकुंडली नहीं बन पाएगी इसके परिणामस्वरुप भविष्य में उस बच्चे का लग्न – मुहर्त सब कैसे निकलेगा । जन्म तो हुआ ही नही है तो जन्म कुंडली भला कैसे बने ।
इसके लिए क्या करना है समझिए – जैसे ही गर्भवती स्त्री का पेट दर्द शुरू हो तुरन्त स्वस्थ और सेवित देसी गाय माता का 100 ग्राम गोबर का रस पिलाने से मात्र कुछ ही देर में साधारण प्रसव हो जाता है ।
संत श्री ने बताया कि माँ बाप के बुजुर्ग होने पर जिस प्रकार उन्हें घर से नही निकाला जाता हे उसी प्रकार गौमाता को भी घर में रखना आवश्यक था । लेकिन आज के युग में माँ बाप को जहा घर में रखने में कुछ लोग परेशानी महसूस कर रहे हे । आज के मानव को इस बात पर चिंतन करने की आवश्यकता है । हमे इस महापाप से बचना चाहिए ।
गाय माता को जानवर समझना हमारी सबसे बड़ी भूल है । उन्होंने भगवान श्री नाथ जी, भगवान एकलिंगनाथ जी की महिमा का वर्णन करते हुए बताया की वृन्दावन के जतीपुरा में गौ दुग्ध से प्रकट हुए श्री जी बाबा कालांतर में श्रीनाथद्वारा में विराजमान हुए । इसी प्रकार आसीन्द में सवाई भोज की गौ सेवा से प्रसन्न होकर उनको भोलेनाथ ने दर्शन दिए और सवाईभोज ने वरदान मांगा कि नारायण मेरे पुत्र रूप में आए वे देवनारायण बनकर आए ।
सन्त श्री ने आज पाश्चात्य संस्कृति के कारण समाज में लगातार बढ़ रहे अपराध के कुप्रभावों को बताते हुए कहा कि बढ़ते अपराध से सामाजिक मूल्यों में गिरावट आ रही है ।
शंकर जाट ने बताया कि अंत में सभी ने आरती का आनंद लिया । इस मौके पर जगदीश जीनगर, जितेंद्र गडोलिया, रोशन पहाड़िया, जगदिश नेनावा, प्रकाश आश्रमा, सुरेश बुनकर, श्याम पंचोली, भगवती साहु, बाबूलाल तेली, राधेश्याम बागला, हुकुम सिंह, रमेश मालीवाल आकोला, प्रहलादरॉय मंडोवरा, मनीष गोयल सहित हज़ारो श्रद्धालु उपस्थित रहे ।