पूर्ण बंदी के बारे में निर्णय करने के लिए तीसरा सप्ताह महत्वपूर्णः उपराष्ट्रपति
लोग कुछ कठिनाइयों के बावजूद सरकार के निर्णयों के साथ सहयोग करते रहें: उपराष्ट्रपति
अभी तक भारत के प्रयास सफल, सभी के हित के लिए देश के अध्यात्मिक आयाम को दर्शाते हैंः उपराष्ट्रपति
तबलीगी जमात की घटना एक अपवादः उपराष्ट्रपति
इस आपदा से विश्व समुदाय सही पाठ सीखेः उपराष्ट्रपति
नई दिल्ली.
आज जब देश का नेतृत्व कोरोना के कारण हुई तीन सप्ताह की देश व्यापी बंदी के बाद, अर्थव्यव्स्था को पुनः पटरी पर लाने के रास्तों पर विचार कर रहा है, उपराष्ट्रपति श्री एम वेंकैया नायडू ने आग्रह किया कि बंदी के बाद भी जन स्वास्थ्य को आर्थिक स्थिरता की तुलना में प्राथमिकता दी जाएगी। आज पूर्ण बंदी के दो सप्ताह बाद अपने विश्लेषण में श्री नायडू ने विचार व्यक्त किया कि आने वाला तीसरा सप्ताह पूर्ण बंदी के बारे में सरकार द्वारा निर्णय लेने के लिए महत्वपूर्ण होगा। उन्होंने कहा कि इस संक्रमण के प्रसार के आंकड़े और इसके प्रसार की गति, पूर्ण बंदी से निकालने के किसी भी निर्णय को प्रभावित करेंगे। पूर्ण बंदी को खोलने के विषय में प्रधान मंत्री तथा राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच हुए विचार विमर्श का जिक्र करते हुए श्री नायडू ने लोगों से आग्रह किया कि वे यदि 14 अप्रैल के बाद भी सरकार जो भी निर्णय ले जिससे कुछ कठिनाई हो, तो भी वे सरकार के निर्णयों को अपना समर्थन देते रहें। उन्होंने आशा व्यक्त की कि सरकारें वस्तुओं की सुचारू आपूर्ति सुनिश्चित करेंगी तथा दुर्बल वर्गों को पर्याप्त राहत और सहायता पहुंचाई जाएगी। 22 मार्च को जनता कर्फ्यू या 25 मार्च से जारी बंदी या फिर 5 अप्रैल को दीप प्रज्वलन को प्राप्त व्यापक जन समर्थन की चर्चा करते हुए, श्री नायडू ने कहा कि यह भारतीय परम्परा में निहित अध्यात्मिकता के गुणों को प्रतिलक्षित करता है। उन्होंने कहा कि अध्यात्मिकता का अर्थ ही वृहत्तर समाज के हित के लिए स्वार्थ का शमन करना है और इस कठिन घड़ी में देशवासियों ने अपने इस संस्कारगत आध्यात्मिक चरित्र को दिखाया है जिससे इस संकट से उबरने में सहायता मिलेगी। राजधानी में हुए तबलीगी जमात तथा देश व्यापी अभियान की सफलता पर उसके प्रभाव के बारे में श्री नायडू ने कहा कि यह घटना एक अपवाद थी जिससे दूसरों को भी सबक लेना चाहिए। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया कि वे भविष्य में ऐसी किसी भी आपदा से पहले इस अनुभव से सही सीख ले और संस्थागत, इंफ्रास्ट्रक्चर संबंधी, सूचनाओं के आदान प्रदान संबंधी, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और निजी स्तर पर प्रयास संबंधी, सभी कमियों को दूर करे।