फतहनगर। जिला पर्यावरण समिति उदयपुर, पर्यावरण विभाग राजस्थान सरकार एवं फास्टर भारतीय पर्यावरण सोसायटी ईन्टाली के संयुक्त तत्वावधान में पर्यावरण दिवस पर आयोजित नवाचार खोज प्रतियोगिता पर राष्ट्रीय स्तर ई वेबीनार में फीडबैक एवं मंथन से कई तथ्य निकले और विश्व स्तरीय नेटवर्क में शामिल करने का निर्णय लिया गया।
नेशनल ई वेबीनार के कोऑर्डिनेटर ललित नारायण आमेटा के अनुसार घर बैठे पर्यावरण प्रेमियों के द्वारा नवाचार में देश के 71 प्रतिभागियों ने भाग्य आजमाया। नेशनल ई वेबीनार के कार्यक्रम संचालन हितेश श्रीमाल ने करते हुए बताया कि डिजिटल माध्यम से कार्यक्रम में बालाजी करी सचिव जिला पर्यावरण समिति उदयपुर की अध्यक्षता में कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डॉ लीना गुप्ता एक्टिक्युटी डायरेक्टर व वरिष्ठ विज्ञानी हेबिटाट गुजरात थी। विशिष्ट सम्मानित अतिथि सेवानिवृत्त भारतीय वनसेवा अधिकारी ओमप्रकाश शर्मा ने डिजिटल माध्यम से भूमिका निभाई। कार्यक्रम में अतिथि स्वागत गीत भीण्डर से भूमिका शक्तावत द्वारा प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता पर्यावरणविद् डॉ. सुनील दुबे ने बताया कि स्थानीय स्तर पर किए गए मोबाइल नेटवर्किंग से पर्यावरण नवाचार का कार्य बहुत ही सराहनीय है। पर्यावरण नवाचार खोज समूह के सदस्यों के द्वारा उल्लेखनीय कार्यों को वैश्विक स्तर पर संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम, आईयूसीएन, वर्ड कंजर्वेशन मॉनिटरिंग सेंटर, इंडिजीनस कम्यूनिटी कंजर्व्ड एरियाज कंसोर्टियम सहित अन्य विश्व स्तरीय नेटवर्क में साझा किया जाएगा। फास्टर संस्थान द्वारा स्थानीय नवाचार का अंतरराष्ट्रीय नेटवर्किंग स्थापित में अहम भूमिका होगी।
नेशनल ई वेबीनार फीडबैक एवं मंथन में देश के आचार्य बीके लवकेश हरियाणा से, आध्या शुक्ला सीतापुर उत्तर प्रदेश से,बाड़मेर से डाॅ. पी एस जाखड़, उत्तराखंड से किरण बिष्ट, मानव व्यास जैसलमेर से, बुरहानपुर मध्य प्रदेश से कंचन चैबे, नई दिल्ली से रणधीर सिंह, झुंझुनू से यश स्वामी,बांसवाड़ा से नीरज पाठक वक्षम फौंडेशन,झुंझुनू से श्याम सिंह चैहान, चित्तौड़गढ़ से ब्रजराज मालव, डूंगरपुर से गुरुकुल संस्थान,उदयपुर से दिनेश शर्मा, लोकेश कुमार जैन, सौरभ सोनी आदि द्वारा पर्यावरण नवाचार पर मंथन कर पर्यावरण नवाचार के नए आयाम का सर्जन किया जिसमें बीज बैंक नेटवर्किंग स्थापित किया जाएगा। स्थानीय पौधों की प्रजातियों का संरक्षण और आवश्यकतानुसार बीजों का आदान प्रदान कर जैव विविधता संरक्षण में सहयोग होगा। स्थानीय प्रजाति विलुप्त अवस्था के बीज लेकर पुन स्थापित होगा। शतायु ज्ञान कोष का निर्माण में बुजुर्गों से उनके अनुभव का परंपरागत ज्ञान और सुझाव का दस्तावेज से हम वर्तमान आने वाली पीढ़ी की ज्ञानवर्धक एवं स्थाई पर्यावरण इनोवेशन कर सकते हैं।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डा लीना गुप्ता ने बताया कि फास्टर पर्यावरण नवाचार समुह आगे भी सक्रिय रहेगा जिससे जुड़े हुए व्यक्ति ,समूह ,संस्था को पर्यावरण संरक्षण में नवाचार का साझा करने में विश्व स्तरीय नेटवर्किंग स्थापित होगा।
इस अवसर पर उदयपुर से देवेंद्र श्रीमाली ,चित्तौड़गढ़ से भैरव दत्त राव, राजू सोनी, अमित कुमार चैरे ओर प्रतापगढ़ से देवेंद्र मिस्त्री ने पहाड़ पर जल संरक्षण तकनीक का व्यवहारिक स्वरूप बताया किसानों को पेड़ो से आजीविका पर जोड़ने का सरकार का ध्यान आकर्षित किया।