नई दिल्ली । आयकर विभाग ने गत 23 नवम्बर को जयपुर में आभूषण एवं रंगीन रत्नों के निर्माण तथा निर्यात कार्य में लगे एक समूह के ठिकानों पर तलाशी और जब्ती अभियान चलाया। इस कार्रवाई के दौरान जयपुर और उसके आसपास के विभिन्न स्थानों पर 50 से अधिक परिसरों पर छापे मारे गए।
तलाशी अभियान के दौरान यह पता चला कि उपरत्नों और कीमती पत्थरों के लिए कच्चा माल अफ्रीकी देशों से आयात किया जाता है और इन्हें जयपुर में परिष्कृत किया जाता है। तराशे हुए तथा पॉलिश किए गए रत्नों की खेप को रख लिया जाता है और इनका कुछ हिस्सा नकद में बेचा जाता है, जिससे बेहिसाब आमदनी होती है और उसे बही खातों में दर्ज नहीं किया जाता है। इस तरह की गैर हिसाबी धन को फिर एक वित्तीय दलाल के माध्यम से नकद ऋण प्रदान करके ब्याज अर्जित करने के लिए उपलब्ध कराया जाता है। तलाशी लेने वाली टीम ने ऐसे नकद ऋणों के संवितरण और उस पर अर्जित ब्याज के दस्तावेजी तथा डिजिटल साक्ष्य जब्त किए हैं।
लेनदेन की इस प्रकृति को वित्तीय दलाल द्वारा दाखिल किया गया है। इन सब के अलावा, बेहिसाब बिक्री और खरीद, स्टॉक में अंतर, गैर-वास्तविक असुरक्षित ऋण तथा शेयर आवेदन राशि आदि से संबंधित साक्ष्य भी बरामद किये गए हैं। इसके अतिरिक्त, विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) से संचालित समूह की संस्थाओं से दस्तावेज भी मिले हैं, जो यह दर्शातें हैं कि वे इन इकाइयों से अधिक लाभ घोषित करने के लिए अनुचित कार्य प्रणालियों में लिप्त हैं क्योंकि इन इकाइयों से प्राप्त होने वाली धनराशि आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 10एए के तहत छूट के लिए पात्र है।
तलाशी कार्रवाई में करीब चार करोड़ रुपये नकद और नौ करोड़ रुपये मूल्य के जेवरात बरामद हुए हैं। अब तक, समूह में 500 करोड़ रुपये से अधिक की अघोषित आय का पता लगाया गया है, जिसमें से 72 करोड़ रुपये की कुल राशि को संबंधित समूह संस्थाओं द्वारा अपनी अघोषित आय के रूप में स्वीकार किया गया है।